Book Title: Shilangadi Rath Sangraha
Author(s): Unknown
Publisher: Unknown

View full book text
Previous | Next

Page 72
________________ G ॥ २१ मा कामावस्थारथनी चित्र बहारनी गाथाना बुटा शब्दोना अर्थ. ॥ . जे-जेओ. मणुस्सिथ्यि-मनुष्यनी स्त्री | वपुसक्कारे-शरीरनो सत्कार | चिन्ते-विचार करनार नो-नहि संग-संग न-नहि मुणी-मुनिओने करन्ति-करेछे सोइंदि-श्रोतइंद्रिय इथ्यि-स्त्री(नो) वंदे-बांदुर्छ मोह-मोहने बज्जिअ-वज्र्योछे, त्याग कर्योछे (१) % 3D peeGOOGGo Grearina शीलांगादि रथसंग्रह. ॥४॥ ॥ श्री कामावस्थारथ ॥ २१ ॥ जे नो करन्ति मोहं, मणुस्सिथ्थि संग सोइंदि॥ वजिअ वपुसक्कारे, न इथ्थि चिन्ते मुणीवंदे ॥१॥ ये नो कुर्वन्ति मोदं, मनुष्य स्त्रीसंग श्रोत्रेन्श्यिम् ॥ वर्जित वपुस्स तारान् न स्त्री चिन्तान् मुनीन् वन्दे ॥१॥ . जेलो मनुष्यनी स्त्रीना संगनो मनथी पण मोह करता नथी तथा पांचे इंन्छियोने तथा | शरीरना सत्कारने वर्जेलो ने अने जेओ स्त्रीनी चिन्ता (विचार) करता नथी एवा साधुओने ९ वांदुं हुं ॥१॥ BarelDrRRORMORRBare

Loading...

Page Navigation
1 ... 70 71 72 73 74 75 76 77 78