Book Title: Shilangadi Rath Sangraha
Author(s): Unknown
Publisher: Unknown
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॥श्रीसंयम रथः॥११॥ हिंसइ न सयं मगसा, पेहा संजम जुन सुइरिया । इलाकारण जुम, जाजीवं पुढवि कायंगि ॥१॥
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हिंसइ नसमें अहसावद को बिनानागुन मना करना
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हिंसइ नसबंदिसावर नो
६०००
दिसानाम
चयसा
मासा 2000
२००७
२०००
पहासजमवन नवेहसंजमनुन पम संजन पारिडावणी
पाजुने ५०० सुइरियाए सुनासार मुसणासुगहपुरके सुपरिट्टयन
सनि तयार नवसंपयाइ
पाइ
सन्चंदपाइ
जिन १०
संपबाइन
जावयजीव जावभावावर
१००
१००
१००
जीवपि
इस कारण मिची कारकतहानिकारेग आपस्सिया नसी हिवाइजका
चिनरिंदी जाय / जीवंपि.
२४ाश्चमाइजुपाडपुच्चगाई/म
जाजीव पुनाजाजीय चानी जान
जाजीयं जान जाजीचं तेन जाजीचंचाना जाजीचं च-६ पिका कायंपि. कायंपि.
रसइ कार्यवि
बेईदी जाय/तइदाजा कनीया
यि
जीवंपिई
TRANSAR

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