Book Title: Shilangadi Rath Sangraha
Author(s): Unknown
Publisher: Unknown

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Page 22
________________ ॥धर्माग रथः॥२०॥ नाणजन मणगुत्तो, दाणेजुत्तोअपढमवयरहो। जिएए विएगो बट्टतो, कोह जयंतो मुगी चंदेगा moDNADUINDAALANDA नाएगजुओ। दिविजुयोचरणजुनो ६००० ६००० EOCO मपगुचो वय युत्तो | नपुगुत्तो २००० २००० 2000 दागजुत्तोय शासजुत्तोय तवेराजुचो जावजुत्तो. ५०० ५०० ५०० समयए सुद्धो जीयवयसुद्धो नईयवयसुद्धाचनमवयसुझो पंचमवयसुद्धी १०० १०० ५०० उपशाया एक सिंघधिगमन वई तो १० भियजबूतोमुरव सम्पतिवार यता सुजयंती १००१०० १०० विटे. सांगजयंतीस मुलिविण जिरा विणा सिद्धविरामे वहृतो लीचंद बेइबिएले चटुं तो सुअधिरामे धमथिए। बता पड़ता १ . १० १० १० कोइजयंतो माणजयंती मु- माया-जयंती मुगोवंदे एवंदे. सुशीद जोहजयंहासजयतो मुगीचंदे मुलीचंदे रिइजयंतोप्राइजयनो घरे. सीबंदे

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