Book Title: Shilangadi Rath Sangraha
Author(s): Unknown
Publisher: Unknown

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Page 20
________________ जिनाचित्र जे दंसणं य ६००० ६००० मासा २००० पिंड प्राणे पच जा ५०० ५०० पढम्य ली लो २०० दमंच परिहर ता १० वयसा २००० पंति रथमं सा दामि जिचारित ६००० नए ला २००० रुवनुप्रा रूवातीतप्रा ५०० ५०० १०० बी यवय जो तय वय लीली वन धियली पंचभ वय जी १०० १०० १०० पायें परिहरणा भोगे यासुरे परिश्रय तो १० परिहरतो हरनो ९. १० समय साहू समऊ सा मुनिजुचं वंदामि २ टू वदामि ३ साहू चंदे तब हू ॐ १० सा दे ॥ ज्ञानदर्शन चारित्र रथ ॥ १४ ॥ जेनाएं चित्र मासा, पिंड ज्ञकाल पढमवय जीणो ॥ दष्पं च परिहरंतो, खंतिखमं साहूणं चंदे ॥१॥ पिंडका चिय, पद रूपत्याए मत्रीणो ॥ रूपातितं च पुणे, कम्म स्वयं कुएाइतं मा ॥२॥ दप्पपाषाणा भोग, सुरेई संकिये। सहसा गारो नये पन से वीसी ॥३॥ संकिम सिसागारं भयं विपचिऊ चीनी १० क्र. १० तो. १० १० साहूणं वंदे लवदे ७ राजम जुस सच्चसा सो हु चिसा विचा

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