Book Title: Shilangadi Rath Sangraha
Author(s): Unknown
Publisher: Unknown

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Page 19
________________ ॥रागत्रिकरथ॥१७॥ जे कामराग रहिया, मणसा रेवेसु सह विसयंमि॥ चिन्ता व ल गया, वंति जुआ ने मुगी चंदे॥१॥ चिंतेड़द मिच्छइ,सीई नीससई तहजरेदाहे ।। भच अरोअग मुला, नम्मा पानगइ मरणं ॥२॥ जो कामरागस जो नेहरागरहि जो रिनिराग दिओ रहिआ. है००० पा KCOLLETINOD 1900 मगसा २००० वयसा २०६० तणुषा २०७० देवेसु मिपतिवण पापसंदेहेण गया परपावरान MALA गया अकिंचएत विभनयानेमनाय १७ ननीचंद | मराभेल तिरि-ग्रेस नरस ५०० ५०९ ५०० सह पिसमि रूव निसर्यमा रस विसावा गंधविसर्यम फासविसर्यमा १०० चितामगरसरायणग- नीसासा ब जरस वई ददया पलंग गया गया गया १० १० पनिहाते अऊपजुआ मुसिजुआने लव जुनाते ने मुनीवरे मुनाद मुनीचंदे मुनी चंदे सचिचलणे महामनय गया ।ईल गया। या १० १० जयाने सञ्चजुआने//साश्रम ६.सुनियंत्७/ मुनीटे मुश्राना सुनीवंदे MPONRMANCREASONRARRIRAINRPAN P ORE

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