Book Title: Shilangadi Rath Sangraha
Author(s): Unknown
Publisher: Unknown
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जो तेन जेस जो पनुम लेस जो सुकलेस ६०००
६०००
६०००
माणसा
२०००
नवकमो ५००
नवसमिय
'संमती
१०७
सिरुई धरतो
१०
श्रीगमधा नर्मसामि
वयसा
१०००
निरके चो
५००
सरु
लघुका
2000
धरती
१०
एगमो
५००
सामि खनबसमसार बेईयसार
१००
संमती
समतो १००
100
एश्री
५००
आरुइ 'धरतो 'धरती
सुनरुई
१.
नमसाभि नमसामि
सुगुराधारंणाधार धारणा
नभ सामि
딩
खर्डय सार समतो
१००
बीयरुई वरतो
१०
जीवहारि नर्मसामि
अभिगम रुई
धरनो
१०
केवलधारिन सामि . ६
॥शुन जेइयात्रिक रथः ॥ १२ ॥ जोनलेस मासा, जवको नवसमिश्र संमत्तो ॥ निसग्गरुइं घरंतो, आगमधारिं नम॑सामि ॥ ९ ॥ स्वयं खनुवस मियं, वेयगन्नव सामिश्रं च सासलियं ॥ पंचविच समत्तं, पत्रत्तं वीयरागे हिं ॥२॥ सिम्सुवासरुई आएरुइ सुत्त बीय रुई मेव ॥ अभिगम विहाररुइ किरिया संखेव धम्म रुई ॥३॥ आगमसु आग धारणा, य जीयंच होइ चवहारो ॥ केवलमो हिचन दस, दस नव पुवि पुढे मि ॥६॥
विचाररुइ किरियारुइ संखेवरुई घर
घर तो
लो. १०
धरती
१०
नामसामि. ७) मापक धार
हिपरंन नमे
सामि
चिनदस प्रति
नमसामिल
धरुव

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