Book Title: Shilangadi Rath Sangraha
Author(s): Unknown
Publisher: Unknown

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Page 15
________________ श्रीअहानश्यात्रिकरथ॥१३॥ जो किएह लेस मगसा, इति कहादय अभिगह विचझ॥ फुटविजिए ररकतो, खनिनुए साद वदामि ॥१॥ अभिग्गह मणा भिगहिय, तहा अनिशिवेसिन चेव।। संसड्य मणाभोग, मिचनं पंचहा होई ॥२॥ इचिकहानत्तकहा, देसकहा तहय होई रायकहा। चेन कह विवडीने धम्मबी साहू बंदामि ॥३॥ REATरकतार जो किराह वजोनीवलेस जो कानले ६०००००० ६000 मासा 2000 वयसा २००० तापा २००० इचिकहाइयत्त कहाव्य दिसकहाइय राय कहाइया प ५०० ५०० ५०० AS जरिदीए पाचारको सकती-१०ना . . नो १. अभिग्गा विम अगानिगह अभिनिवेसिप सिड्य धिवा भोग थिबऊ१० विवक की १००० विवर्क १०० पुढविजीर आनजीये रकं तेजीये र-चाननीय चाचणस्सइजीयन ररकता (रकेती-१० खाता-२० रकलो.१० 10 खतिजुड़ीसा मावजुसार सबकासन मुनिजन्मेसा तवजुए साहू दापि इबंदामि ददामि यंदा मि-५ 19वइंदीएक नईटीएर मंजमजीसाहसञ्चसुश्रसा-सानजी बदामिाईबंदामि.७साहू बैरामिटर CHOHORANSIT PP

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