Book Title: Shilangadi Rath Sangraha
Author(s): Unknown
Publisher: Unknown

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Page 6
________________ श्रीश्रमण धर्म रथ नहणे सयंसाडू, मासा आहार सनि संवुडझे सोरंदी संवरगो, पुढविजिरे खंतिसंपन्यो ११॥ करपाई तिबिजोगा, मणमाईणि वंतिकरणाई। आहाराई सन्ना, च: सोया इंदिया पंच ॥२॥ नहोस बटणाव SUNYOOctaudawan साई" नहपति अछ मज्ञासा ६००० ६.०० मासा २००० क्यसा २००० | नपुण ५००० काचचिदा अजीब १० हारसन्धिा र हिउ.भयावद्धिन महाससपरिम संवुड सबाल सन्मान सन्नी -५०० ५. ५०० ५०० सोश संबाचारिकदी समापिटी संवा जिजिश फासिंही रणी परणा संबर को १०० १०० पढविजिये आजितेउजियाबार जिवाबण जीवा १० चणविमु बनकर रणी संयरली १०० . मा त १० मोधिये सच्च संजुने सोयसंमुत्तो। खलिसपमहबजुत्ती बीवजुत्तीमुत्तिसपना तवसमावती

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