Book Title: Shilangadi Rath Sangraha Author(s): Unknown Publisher: Unknown View full book textPage 5
________________ ॥कामलारयः॥३॥कयचमसरामाला, नियमियवसायनालया। धाजोईयपुटविजिए, अरिहसमरकंबमामि॥॥ अरिहंतसित्साहू, धम्मायरिण्यसंघनुबंदे॥ मुखामिसमासेल, पज्जंताराहलं परमं ॥३॥ चमरलनालसणा-यारपुटबाइजीवाईणं पचनसर गरहियदुकडी सकाएमा ६००० LO.. सारालालंपुल, सहसालारसस्वनि।३॥ दिन सिहगलहर,केवनिहियमयजिmju सुशनिल साहुसमरकं,देवतहप्यसरकी मा २००० दिछ। 2000 चरला २००० खDEथा aNELIO0 जापाइप माजोय चरिंदाजी० Phot दिवसमक 100 खनाAARI नियभियत्रा नियमियपाहि नियमियखा नियमियसा सस मोर श्मीर माणबईया इसपर बारियाईया ३.. १०० जोईयामाजीईथ भाजीईय भाजाश्या |আলী, विमए सानिए यशवनिमय 10 वरिल्समरासिसमकं लहरसमस कवतिसमसिमरकं. रखमाबेमि खमाविभि समावेमिखमाबेमिखमामि 10 आजीईय/जालोईय रंजीततिरंदाजी मास्यमक रक्मारमि 30 saeमरयनिसमरकर रमानेमिमामिPage Navigation
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