Book Title: Satya Dipak ki Jwalant Jyot Author(s): Kiranyashashreeji Publisher: Atmanand Jain SabhaPage 42
________________ फालचक स्वरुप कोडा कोडी सागराधम-अवसति मटी सातारापम + १०को पर्षिणकाल-१०कोडा 17 सषम अशय आनंदमध मसुधम का Bाम काल शनि और, त-(१) यह काल सा है स्वादधुत और जल -पत्नीस व्यवहता संधर्ण सुखमय-अतिशय मल अमृततुल्य होना 31 होता है। (४) युवा धुमाल से कार के कल्यवृक्षस हो एवं बज भषम नाराध ७) उत्कृष्ट आयुष्य-तीन आहार प्रमाण कालम मज़ाश. जीवनकालमा ही, जधा-यस्त,आलंकार, मज संघधणयुक्त, २५६ यसर शिष्ट स्वरूप व समस पाति दस प्रकारका जनरस्न संस्थान एवं व जीनपल्यापम (८) या प्राण प्रकृति सेडी रळ वान तुध (07 सकालका विशिष यही युवाल धुवावस्था होता है। अत्यल्याय-प्राण कायम भूमिश होता है, यही n श्रीनफेस लम्बी : ईच्छा होती है। अभिप्सित पदार्थाकी मार नश-जन्मीयुगल रूपमेडी सी फष्ट दैनिकी हीन्यु साधA अधिक्षक त्यागी-रावं ११० अपत्य पालन-83 इस करते हैं दिन आहार ही पाधि(६)काया समधन शृंगार आदि लक्षास प्रत्येक तीन दिनांसर पसलियासोनम मनोरंजन, निवास ही शुलप्रसून विचार करायी हरी पत्यु- बजार Spard-TOPE १०) स्वभाव डाफोडी चार पता: कोडाडो सागराधम .in चार कोडा सागराधम तीन कडा LASतान जाड़ा जैसे हा संपूर्ण स्वरूप लसहशही जानना। पसलिया-१२८ लेडी (६)काया-समचतुरस्त्र ola tapgad सुषम काम । म)आडारेका दो दिजात सागर धम LE (१२) अथव्य पालन. एवं स्य HIT-प्राति से अधर्म (१०) स्वभाव- अन्य (8) 128का HHET हारी (10 उत्कृष्ट आयुष्य-दा ६८ साधर्म होती है। Delसी आत ही होनी अर्धात तृतीय दिन (दैसें- सामने साम्रोधम जीडन लम्बाई-दीकास, यसभिल समारले :.१५तासंग पाल्योधमा दतिय आरा स्वसय-सामने २ सधम का RE संस्थान,यजम अधर्म के त्यागी सवयी साय है HIT-4 तुल्य 3) Jeech let 83-prajan आम काल S PremJPARI gand Launa HERE RDC नाराच सधयण RAApple b iela 112100 (3) Ruld terza per कई:08hd ४२००० वर्षलून कडाडीसागरोधन प्रमाण। CENERATIBAR यदधम सुधम काल:-धर्म प्रयत्न-मोक्ष बामन-सुयम,दुध अधिक र१००० या प्रमाण इयम काळ Tir00P PICHRSHREY HDDF प्रमाण दुधमाधम बाल HE2000ctYAUCHH ODId पुसद) 82000 वर्ष न्यून १क.सा.प्रमाणात गमन-सुखकम,दुःख धिन। डपम सुमन काल:-धर्म प्रति-मद ATEHP PARATORS 125/2010 en 2011 Drampans-D PATELFARPlpur IP2LECTnycom c-JEExar 2016 Lens HME TET ducation International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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