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किये छोड़ देने में हमें उनकी उदारता आश्चर्यचकित करती है। आपकी ओजस्विता, प्रभावकता, अद्भूत कल्पना शक्ति आदि का परिचय विविध व्यक्ति और सभाओमें हुए वाद या व्याख्यानादि में दृष्टि गोचर होते हैं। स्थानकवासी सम्प्रदायमें से संवेगी मार्ग प्रति प्रस्थानके लिए सहयोगी-साथियोंकी प्राप्ति मेषराशिके राहुको ही आभारी है। जीवन पर्यत आध्यात्मिक आराधनाकी मस्ती-निजानंदका स्वानुभव नवम स्थानमें शनिसे प्रतियुतिका प्रभाव है। चतुर्थ (सुख) स्थानसे व्यक्तिके सर्वांगीण सुख और विशेष रूपसे मकान-माता-मित्रादि का सुख, उच्चपद प्राप्ति आदिके बलाबलका विचार किया जाता है।
शुभ और स्थिर-वृषभ राशियुक्त चतुर्थ स्थानमें कोईभी अशुभ ग्रह या अशुभ ग्रहकी पूर्ण दृष्टि नहीं है। इसके अतिरिक्त चतुर्थ स्थानका स्वामी, स्वगृह दृष्टा, उच्चके गुरुग्रहसे दृष्ट, उच्चका प्रबल योगकारक शुक्र है अतएव इस स्थानका उत्तमोत्तम-संपूर्ण शुभफल प्रदान करता है। यही कारण है कि आपके सभी साथी आपके प्रत्येक कार्य,प्रत्येक आदेशपालनके लिए सदैव तत्पर रहते थे। आपकी माताका आपके प्रति अप्रतीम वात्सल्य था, तो माता समान सभी गुरुदेवोंके (स्थानकवासी एवं संवेगी साधु जीवनके) दिलमें आपके प्रति अत्यंत स्नेह सभर कृपा दृष्टि थी।
(२) तपागच्छगगनांचलमें प्रायः दो सदियोंसे शून्य सूरिपदारूढ़ उदीयमान तेजस्वी नक्षत्र रूप चमकनेका सौभाग्य आपको प्राप्त हुआ, जो जीवनकी सर्वोत्कृष्ट सिद्धि (सर्वोच्च पद प्राप्ति) का सुचक है। २५
पंचम स्थानसे बुद्धि, विद्याभ्यास, मंत्र-विद्या संतान सुख, लागणीशीलतादिका निर्देश होता है। (विद्या स्थान या तनय स्थान)-इस स्थानमें कोई भी ग्रह बिराजमान नहीं है। और न किसी ग्रहकी पूर्ण दृष्टि है। पंचमेश बुध मीन राशिमें होनेसे नीचका बनता है, लेकिन बुध ग्रह तटस्थ (मिश्र) ग्रह होनेसे निम्नांकित तीन कारणों से शुभ बनकर शुभफल प्रदान करता है। (१) प्रबल योगकारक उच्चके शुक्रसे युति संबंधके कारण 'नीचभंग' योग होता है। (२) मित्र ग्रह गुरुके गृहमें स्थित-बलवान सूर्यके साथ युति संबंध रखता है। और (३) उच्चके गुरुसे दृष्ट एवं नव-पंचम योग करता है जिससे शुभ बना बुध तीव्र-सूक्ष्म बुद्धि चातुर्यको प्रदान करता है। पंचम स्थानसे विद्याभ्यासका निर्देशन मिलता है। विद्याभ्यासके फलकथनके लिए बुध और गुरुका समन्वय आवश्यक बन जाता है।
उपरोक्त तीन कारणोंसे आप अनेक विद्याओंके स्वामी थे-पारंगत थे। षटदर्शन, न्याय ज्योतिष, आगम, इतिहास, साहित्य, काव्य, मंत्र-विद्यादि विभिन्न विषयक विद्याके गहन-गंभीर अध्ययन सम्राट थे। तर्क बद्ध वाद शक्तिसे प्रतिवादीको जकड़कर, उसे उलझित करके, हराकर चूप कर देते थे। गुरुसे नव-पंचम योगके कारण शांतिप्रिय, विनयवान, देव-गुरु भक्तिकारक और अत्यंत आस्थावान भी थे। हूबहू वर्णन शक्तिसे पत्र व्यवहारमें भी अद्वितीय थे डॉ. होर्नले जैसे विदेशी विद्वानको अपने ज्ञान प्रकाशसे-पत्रों द्वारा ही प्रभावित किया था।२६ मीन राशि स्थित अष्टमेश-बुध, स्वगृहको प्रतियुति दृष्टि से देखता है, परिणमतः जातक गूढ़ विद्याका ज्ञाता
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