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पूर्णन्यायी, सत्यान्वेषक, सत्य प्ररूपक, सत्य स्वीकार कर तदनुसार आचरण करनेवाले, सहनशील, उदार दिल, परोपकारी, शान्त प्रकृति, कुनेहबाज, चतुर, साधन-संपत्तिका उत्तमोत्तम उपयोगकारी, कार्यदक्ष, शीध्रनिर्णायक तार्किक शिरोमणि, दीर्घदृष्टा, आकर्षक-सौजन्यशालीकुशाग्र व्यक्तित्ववाले, अनुशासन प्रिय आदि अनेकानेक गुण के मूर्तिमंत-जीवंत स्वरूप प्राप्त कर सके जैसे
बचपन से ही उदारता गुण प्रबल होनेसे खुदके खेलनेके लिए बनाये-हस्त चित्रित-ताशके पत्तोंको क्षण का भी विलंब किए बिना अंग्रेज अफसरकी मांग पर दे दिया। बचपन से ही परोपकारादि गुण भी दृष्टि गोचर होते हैं-नदीके उल्टे प्रवाहमें तैरकरके, जानकी बाज़ी लगाकर भी डूवती स्त्रीको उसके बच्चे के साथ बचा लिया था। जीवनमें कदम-कदम पर वैसे ही परोपकारके अनेक प्रसंग प्राप्त होते हैं। सत्यके कारण उपाधियोंकी आँधी आने पर भी-मरणांत कष्ट सहन करते हुए संघर्षमय जीवन व्यतीत किया। दीर्घदृष्टा बनकर भावी पिढ़ीके सुधार के लिए, कुरूढ़ियोंके विरुद्ध जेहाद जगाकर सबको जागृत किया। संघको शिक्षा और धार्मिक मोड़ देनेके लिए आजीवन-अथक प्रयत्न करते रहें। इत्यादि अनेक गुण उनके जीवनमें शृंगार बनकर शोभायमान हुए हैं।८ C. लग्नस्थान पर,-- जिसका 'नीचभंग' हुआ है और जो 'उपचय' स्थानमें उच्चके गुरुके साथ युति संबंधसे बिराजित है ऐसे,---मंगलकी आठवीं-पूर्णदृष्टि होनेसे और वही मंगल ग्रहकी चौथी दृष्टि लग्नेश पर होनेसे पूज्य गुरुदेव अत्यंत साहसिक, नीड़र, बलवान, प्रामाणिक, सत्यके आग्रही, स्पष्ट वक्ता, कर्मठ, उद्यमी, हृष्ट-पुष्ट-सौष्ठवयुक्त-दमामदार व्यक्तित्व के स्वामी, रक्तवर्ण शरीर सम्पन्न थे। जैसे-साहसिक ऐसे कि पाँच सात वर्षकी आयुमें पिताके अनुकरण रूप, आधीरातमें अकेला छोटा दित्ता डाकुओंसे गृहकी रक्षाके लिए नंगी तलवार लेकर द्वार पर खड़ा हो गया था। ऐसे ही साहस और पराक्रम आपके जीवनके हर मोड़ पर-पगपग पर प्राप्त होते हैं। बलवान ऐसे, कि, भावनगरमें गधेको बचानेके लिए, जो लकड़ीका बड़ा भारी लट्ठा दो-चार मुनिराजोंके संयुक्त प्रयत्नसे हील भी न सका था, उसे अकेलेने एक झटके के साथ दूर हटा दिया। उद्यमशीलताके कारण ही तो अल्प समयमें ही बहुमुखी प्रतिभाको कार्यान्वित करके अध्ययन और अध्यापन, प्रवचन व लेखन, प्रतिष्ठायें-अंजनशलाकायें, समाजोत्थानमें मार्गदर्शन और स्व-परके निरतिचार चारित्रपालन आदिको एक साथ न्याय देने में सफल रहें । ११ D. इसके अतिरिक्त प्रथम स्थान फल स्वरूप बाह्य व्यक्तित्व, आरोग्य, स्वभावादि पर असरकर्ता गुरु ग्रहकी नवम दृष्टि, सूर्य-बुध-शुक्र पर होनेसे उससे प्रभावित क्या फल प्राप्ति होती है यह दृष्टव्य है-शनि और बुध-दोनों के प्रभावसे लम्बी, एवं मंगलकी दृष्टि से हृष्ट-पुष्ट कायावान; सूर्यके कारण अत्यंत तेजस्वी, प्रतिभा संपन्न , आकर्षक मुखकमलवाले, स्वमानी, विरोध-आक्रोशपूर्ण लेकिन, तर्क बद्ध एवं दृढ़तासे करने के स्वभाववाले, रोग प्रतिकारक शक्तिके कारण संपूर्ण स्वस्थ एवं नीरोगी काया फिर भी कभी कफ और पित्त प्रकृतिके प्रकोपसे पीड़ित; उच्च योगकारक शुक्रके कारण, सुंदर, प्रभावशाली नेत्र-धारी,
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