Book Title: Saral Prakrit Vyakaran
Author(s): Rajaram Jain
Publisher: Prachya Bharati Prakashan

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Page 19
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (११) संयुक्त 'य्य', 'य', 'ध' के स्थान में 'ज्ज' होता है। जैसे: - शय्यासेज्जा। कार्यम् =कज्जं पर्यन्तम् = पज्जतं। आर्या=अज्जा भार्या भज्जा। मद्यम् =मज्ज। विद्या=विज्जा। उद्यानम् =उज्जाणं (१२) 'इन', 'ण', 'स्न', 'ह', 'ह' 'क्षण के स्थान में ‘ण्ह' हो जाता है जैसे : प्रश्नःपण्हो । कृष्णः कण्हो। उष्णः=उण्हो स्नानम् =ण्हाणं । ज्योत्स्ना=जोहा । वह्निः-वही। स्नायु:=ण्हाऊ । पूर्वाह्नम् = पुव्वण्हो। अपराह्नः-अवरोहो । तीक्ष्णम् = तिण्हें । (१३) 'प' के स्थान में 'ह' होता है। जैसे : कार्षापणः=काहावणो (१४) 'त्म' के स्थान में 'प्प' हो जाता है। जैसे : __आत्मा=अप्पा (१५) 'है', 'श', 'ब', 'य' की रेफ के स्थान में 'रि' हो जाता है। जैसे :- .. गर्हा=गरिहा । प्रादर्शः-आयरिसो दर्शनम् = दरिसणं। वर्षम् =वरिसं आचार्य:=पायरियो। सूर्यः =सूरिओ • अन्य आवश्यक नियम (१६) प्राकृत-भाषा में हलन्त शब्द का प्रयोग नहीं होता है । For Private and Personal Use Only

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