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बीयो (दूसरा) - वीया सेट्टि (सेठ ) - सेटिनी ( सेठानी) पइ (पति) - भज्जा ( भार्या, पत्नी) पिनो (पिता) - माया ( माता) पुरिसो (पुरुष) - इत्थी (स्त्री) राया (राजा) - रण्णी (रानी) भाया (भ्राता) - बहिणी ( बहिन )
सातवाँ पाठ क्रारक एवं विभक्तियाँ :कारकप्राकृत-व्याकरण के आचार्य हेमचन्द्र ने कारक की परिभाषा बतलाते हुए कहा है कि-"क्रियान्वयि कारकम्” अर्थात् कारक उसे कहते हैं, जिसका सम्बन्ध क्रिया ( Verb) के साथ हो। पुन: उन्होंने कहा है कि "क्रियाहेतु : कारकम्" अर्थात् क्रिया ( Verb ) की उत्पत्ति में जो सहायक हो, उसे कारक कहते हैं। विभक्तिविभक्ति की परिभाषा के प्रसंग में एक वाक्य बहुत ही प्रसिद्ध है-"संख्याकारकबोधयित्री विभक्तिः" अर्थात् संख्या एवं कारक का जो बोध (ज्ञान) करावे उसे "विभक्ति" कहते हैं। जैसे :-'पुरिसाणं' से अनेक पुरुषों का ज्ञान तो होता है और उसमें षष्ठी विभक्ति भी है, किन्तु वह कारक नहीं।
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