Book Title: Saral Prakrit Vyakaran
Author(s): Rajaram Jain
Publisher: Prachya Bharati Prakashan

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Page 71
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir स० संवो० - - विभक्तियाँ ( ६२ ) रायत्तो - रायाहितो, रायासुतो रायम्मि राएसु हे राया - हे राया अप्पा (आत्मा) एकवचन बहुवचन अप्पा अप्पा अप्पं अप्पेण - अप्पेहि अप्पस्स - अप्पाणं अप्पत्तो -अप्पाहिंतो, अप्पासुतो अप्पम्मि - अप्पेसु हे अप्पा - हे अप्पा प० . वी० - - त० च०, छ०पं० संवो - इकारान्त एवं उकारान्त पुलिंग शब्द प्राकृत में इकारान्त एवं उकारान्त पुलिंग शब्दों के विभक्ति-चिन्ह प्रायः एक समान होते हैं। जैसे : इकारान्त-उकारान्त-इकारान्त-उकारान्त विभक्तियाँ एकवचन बहुवचन प०- ई - ऊ - ई - ऊ वी०- अं ॐ - ई - ऊ त० - णा - णा - हिं - हिं च०, छ०-स्स- स्स - णं - णं पं० - त्तो - तो -हितो, सुतो-हितो, सुतो स० --म्मि-म्मि .- सु - सु संवो-इ - उ For Private and Personal Use Only

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