Book Title: Saral Prakrit Vyakaran
Author(s): Rajaram Jain
Publisher: Prachya Bharati Prakashan

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Page 72
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir - - प० मुणि । । । । । । । इसके प्रयोग इस प्रकार किए जा सकते हैं : इकारान्त मुनि शब्द विभक्तियाँ एकवचन बहुवचन मुणी - मुणी वी० - त० - मुणिणा -. मुणीहि च० स० - मुणिस्स - मुणीहिं मुणित्तो -मुणीहितो, मुणीसुतो मुणिम्मि - मुणीसु संवो - हे मुणि - हे मुणी हरि शब्द विभक्तियाँ एकवचन बहुवचन हरी । - वी० - हरि - हरी त० - हरिणा - हरीहिं च०,छ० - हरिस्स - पं० हरित्तो - हरीहितो, हरीसुतो स० हरिम्मि - हरीसु सवो - हे हरि - हे हरी इसी ( ऋषि ) शब्द विभक्तियाँ एकवचन बहुवचन - . इसी वी० - इसिं इसी इसिणा - इसीहि - प० हरी । । । । । हरीणं - प. इसी For Private and Personal Use Only

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