________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
बहुवचन
-
( ७२ )
चड़ ( चार ) शब्द विभक्तियाँ प०
चउरो बी० त
चऊहि च०, छ.
चउण्हं पं०
चऊहितो, चऊसुतो
चऊसु इसी प्रकार पंच, छ, सत्त, अट्ट, णव, दह, तेरह आदि के शब्द रूप भी जानना चाहिए।
दसवाँ पाठ . धातु रूप परिभाषा-जिस मूल-शब्द से क्रिया का अर्थ निकलता हो, उसे धातु कहते हैं और जिस शब्द से किसी कार्य का करना अथवा प्रकट होने का बोध हो, उसे क्रिया कहते हैं। जैसे:--पढ+ इ क्रिया में मूल शब्द "पढ" धातु है, उसमें "इ" प्रत्यय जोड़कर उसे "पढ़इ" क्रिया बनाया, जिसका अर्थ हुअा-- "पढ़ता हैं"। तात्पर्य यह कि क्रिया के मूल-रूप को धातु कहते हैं :
प्राकृत के धातु-रूपों की प्रमुख विशेषताएँ निम्न प्रकार हैं : --- (१) प्राकृत के धातु-रूपों में एकवचन एवं बहुवचन ही होता है ।
उसमें द्विवचन नहीं होता। .
For Private and Personal Use Only