Book Title: Saral Prakrit Vyakaran
Author(s): Rajaram Jain
Publisher: Prachya Bharati Prakashan

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Page 80
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( ७१ ) संख्यावाची पुल्लिग "एक" शब्द के रूप एकवचन बहुवचन । प० -एगो - एगा | बाकी के शब्द-रूप 'सव्व' वी० –एगं - , शब्द के समान चलेंगे। - इसी प्रकार स्त्रीलिंग का एगा (=एक) शब्द लता के समान और नपुंसक लिंग का एग (एक) शब्द वणं (वन) के समान चलेंगे। . . जैसा कि पहले कहा जा चुका है कि प्राकृत में "एक" को छोड़ कर अन्य समी की गणना बहुवचन में होती है। अतः 'एक' को छोड़कर बाकी के संख्यावाची शब्दों के शब्द-रूप सभी लिंगों में समान होते हैं तथा केवल बहुवचन में ही चलते हैं। जैसे :-- . बे (दो) शब्द विं० . बहु० वि० बहु प० - बे, दुबे वी० - बे, दुबे ० - दोहि च०,छ०- दोण्हं पं० - दोहितो स० - दोसु ति (तीन) शब्द वि० बहु० . वि० बहु प० - तिण्णि वी० - तिण्णि त० - तीहि च० छ०-- तीण्हं पं० - तीहितो ... स० - तीसु For Private and Personal Use Only

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