Book Title: Saral Prakrit Vyakaran
Author(s): Rajaram Jain
Publisher: Prachya Bharati Prakashan

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Page 87
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir --- (७) कर ( करने अर्थ में कृ ) धातु पुरुष एकवचन प० पु० करीअ म० पु० उं० पु० "" (८) पा (पीने अर्थ में ) धातु पुरुष ( पुरुष पढमो पुरिसो ७८ ) " प० पु० म० पु० उ० पु० ( 8 ) अस् ( "है" "था" अर्थ में ) धातु पुरुष एकवचन आसि हेसि प० पु० म० पु० "" " उ० पु० (ग) भविष्यत्काल के प्रत्यय - चिन्ह एकवचन "" एकवचन 7 बहुवचन पाही पाही, पासी पाहीन, पाही, पासी 19 17 "Y स्स, हिइ स्ससि, हिसि - स्वामि, हामि - (१) हो ( होने के अर्थ में भू ) धातु एकवचन होस्सर, होहिइ " For Private and Personal Use Only बहुबचन करीअ " "} .. 17 " पुरुष प० पु० म० पु० उ० पु० इन प्रत्ययों का प्रयोग इस प्रकार किया जायगा : , 39 बहुवचन आसि, हेसि 17 "1 " 97 बहुवचन स्वंति हिइ सह. हिह, हित्था सामो, हामो बहुवचन होस्संति होहिति

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