Book Title: Saral Prakrit Vyakaran
Author(s): Rajaram Jain
Publisher: Prachya Bharati Prakashan

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Page 88
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra ( ७६ ) मज्झिमो पुरिसो - होस्ससि, होहिसि - होस्सह, होहित्या - होस्सामि, होहामि :- होस्सामो, होहामो -- उत्तिमो पुरिसो (२) पढ ( पढने के अर्थ में पठ् ) धातु पुरुष एकवचन बहुवचन ब० पु० पढिसइ, पहिर - पढिस्संति, पढिहिति पढिस्ससि, पढिहिसि - पढिस्सह, पढिहित्था म० पु० उ० पु० - पढिस्सामि, पढिहिमि - पढिस्सामो, पढिहिमो (३) हस ( हँसने के अर्थ में ) धातु पुरुष एकवचन www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir - प० पु० म० पु० उ० पु०. (४) गच्छ धातु पुरुष एकबचन बहुवचन ष० पु० - गच्छस्सइ गंच्छिहिइ - गच्छिस्संति गच्छिहिति म० पु० - गच्छस्स सि, गच्छि हिसि - गच्छस्सह, गच्छिहित्था उ० पु० - गच्छस्सामि, गच्छिहिमि - गच्छस्सामो, गच्छि हिमो (५) वह धातु पुरुष -- बहुवचन हसिस्सइ, हसिहिइ – हसिस्संति, हसिहिति हसिस्ससि, हसिहिसि -- हसिस्सह, हरिहित्था हसिस्सामि, हसि हिमि - हसिस्सामो, हसिंहिमो -- एकवचन प० पु० हाइ, महाि हास्संति, पहाहिंति म० पु० हास्ससि, हाहिसि - व्हा हिस्सह, महाहित्या उ० पु० व्हास्सामि महाहिमि - व्हास्सामो, हाहिमो बहुवचन For Private and Personal Use Only -

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