Book Title: Saral Prakrit Vyakaran
Author(s): Rajaram Jain
Publisher: Prachya Bharati Prakashan
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
( ८० ).
(६) हण धातुपुरुष एकवंचन
बहुवचन प० पु० ~~ हणिस्सइ, हणिहिइ - हणिस्संति, हणिहिति म० पु० - हणिस्ससि, हणिहिसि - हणिस्सह, हणिहित्था उ० पु० - हणिस्सामि, हणिहिमि- हणिस्सामो, हणिहिमो
(७) कर धातु-. पुरुष
एकवचन
बहुवचन
प० पु० - करिस्सइ, करिहिइ - करिस्पति, करिहिति म० पु० - करिस्ससि, करिहिसि - करिस्सह, करिहित्था उ० पु० - करिस्सामि, करिहि मि- करिस्सामो, करिहिमो
(८) पा धातु
पुरुष
एकवचन
बहुवचन
प० पु० -- पास्सइ, पाहिइ - पास्संति, पाहिति म० पु० पास्ससि, पाहिसि - पास्सह, पाहित्था उ० पू० -पास्सामि, पाहिमि -- पास्सामो, पाहिमो
-
-
(8) अस धातुपुरुष प० पु० - म० पु० उ० पु०
एकवचन अस्थि
बहुवचन अत्थि
For Private and Personal Use Only

Page Navigation
1 ... 87 88 89 90 91 92 93 94