Book Title: Saral Prakrit Vyakaran
Author(s): Rajaram Jain
Publisher: Prachya Bharati Prakashan

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Page 70
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir संबो . ( ६१ ) च०, छ० ---- वच्छस्स - वच्छाणं - वच्छत्तो -वच्छाहितो, वच्छासुतो स० . .- वच्छम्मि - वच्छेसु हे वच्छो - हे वच्छा धम्म शब्द विभक्यिाँ एकवचन बहुवचन प० धम्मो धम्मा बी - धम्म - धम्मेण - धम्मेहिं धम्मस्स - धम्माणं पं. - धम्मत्तो - धम्माहितो, धम्मासुतो धम्मम्मि - धम्मसु संबो - हे धम्मो - हे धम्मा । __ इसी प्रकार नरिद, बंभण सेवा, चंद दंड मेह, गय क, स, ज. एस इम आदि के शब्द-रूप भी चलेंगे। _ 'राय' शब्द संस्कृत के राजन् शब्द से बना है। उसके शब्द-रूपों में एकाध स्थान पर कुछ अन्तर हो जाता है। जैसे राय' शब्द विभक्तियाँ एकवचन प. राया राया, राइणरे । बी० - रायं राया राएण राएहिं च०, छ०- रायस्स ...बहुवचन - - त० राईणं For Private and Personal Use Only

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