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आठवाँ पाठ
समास परिभाषा-- 'समास' का शाब्दिक अर्थ 'संक्षेप' होता हैं। व्याकरण की दृष्टि से समास उसे कहते हैं. जब दो या. दो से अधिक सुबन्त-पदों अर्थात् शब्दों को परस्पर में इस प्रकार से जोड़ा जाय कि जिससे शब्द का आकार छोटा हो जाने पर भी उसका अर्थ ज्यों का त्यों बना रहे । जैसे :धम्मस्स पुत्तों=धम्मपुत्तो (धर्मपुत्र:)। यहाँ पर पूर्व-पदधम्मस्स में धम्म के साथ जुड़ी हुई सम्बन्ध-कारक "स्स" विभक्ति का समास हो जाने के कारण लोप हो गया तथा वह संक्षिप्त होकर "धम्मपुत्तो" रह गया और उसके अर्थ में कोई परिवर्तन नहीं हुआ।
सामासिक अथवा समस्त पद-जैसा कि ऊपर बताया गया था कि समास में प्रायः पूर्व-पद अथवा शब्द की विभक्ति का लोप हो जाता है, इसीलिए समास से सिद्ध होने वाले पद को सामासिक-पद अथवा समस्त-पद कहते हैं। जैसे-धम्मस्स +पुत्तो, ये दो पद हैं, किन्तु जब समास होकर यह "धम्मपुत्तो" हो गया, तब इसे सामासिकपद अथवा समस्तपद कहा जायगा।
विग्रह- सामासिक पद में विभक्ति-चिन्ह जोड़कर जब उसे अलग-अलग पदों में विभक्त किया जाता है, तब इस क्रिया को “विग्रह" कहते हैं। जैसे :-धम्मपुत्तो का
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