Book Title: Saral Prakrit Vyakaran
Author(s): Rajaram Jain
Publisher: Prachya Bharati Prakashan

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Page 67
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( ५८ ) प्राकृत-शब्द रूपों की प्रमख विशेषताएँ(१) प्राकृत-व्याकरण के अनुसार प्राकृत में द्विवचन नहीं होता। अतः समस्त शब्द-रूप एकवचन एवं बहुवचन में ही चलाए जाते हैं। चतुर्थी एवं षष्ठी विभक्ति के शब्द रूप एक समान पाए जाते हैं। अतः प्राकृत में ६ कारक ही माने गए हैं। सम्बोधन को भी प्रथमा विभक्ति के अन्तर्गत माना गया है। (३) ऋकारान्त (ऋ) एकारान्त (ए) ऐकारान्त (ऐ) ओकारान्त (प्रो) एवं प्रौकारान्त (औ) शब्द प्राकृत में नहीं पाए जाते । (४) प्राकृत में संस्कृत के समान ही तीन ही पुरुष होते हैं (१) प्रथम पुरुष, (२) मध्यम पुरुष एवं (३) उत्तम पुरुष (५) इसमें छह प्रकार के शब्द पाए जाते हैं : (क) अकारान्त ( 'अ' से अन्त होने वाले शब्द ) (ख) प्राकारान्त ('आ' , (ग) इकारान्त ( "इ" , , , , ) (घ) ईकारान्त ("ई" , , , , (ङ) उकारान्त ( "उ" " " " " ) (च) ऊकारान्त ( "ऊ" , , , , ) विशेष-ध्यातव्य :--यहाँ यह जान लेना आवश्यक है कि प्राकृत के 'जनभाषा' होने के कारण क्षेत्रीय भाषाओं के प्रभाव से प्राकृत-भाषा के वैकल्पिक शब्द रूप भी बहुलता से मिलते हैं किन्तु प्रारम्भिक छात्रों की सुविधा की दृष्टि से उनके १-१ सरल शब्द-रूप ही यहाँ प्रस्तुत किए जावेगे । For Private and Personal Use Only

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