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( ४६ ) (३) समृद्धि-अर्थ में, जैसे
मद्दाणं समिद्धि =सुमद्द ( मद्र-देश की समृद्धि ) . (४) अभाव-अर्थ में, जैसे__ मच्छिमाणं अहावो =णिम्मच्छिग्रं ( मक्खियों का
अभाव) (५) अत्यय ( विनाश )-अर्थ में, जैसे-.........
हिमस्स अच्चमो-अइहिमं ( जाड़े की समाप्ति ) . (६) असम्प्रति ( अनौचित्य ) अर्थ में, जैसेणिद्दा संपइ ण जुज्जइ=अइणिई (निद्रा के अनुपयुक्त
काल में). (७) पश्चात् अर्थ में, जैसे
भोयणस्स पच्छा=अणुभोयणं (भोजन के बाद) . (८) यथाभाव अर्थ में, ( = योग्यता, अनतिक्रम्य एवं वीप्सा
अर्थात् द्विरुक्ति के अर्थ में ) जैसे :(क) योग्यता अर्थ में-रूवस्स जोग्गं अणुजोग्गं (रूप
के योग्य) (ख) अनतिक्रम्य अर्थ में-सत्ति अणक्कमिऊण जहासत्ति
(शक्ति के अनुसार) (ग) द्विरुक्ति अर्थ में--दिणं दिणं पइ-पइदिणं (प्रतिदिन) (६) आनुपूर्व्य (क्रम) अर्थ में, जैसे
जेट्ठस्स अणुपुब्वेण-अणुजे? (ज्येष्ठ के क्रम में) (१०) यौगपद्य (एक साथ) अर्थ में, जैसे
... चक्केण जुगवं सचक्क (चक्र के साथ-साथ) (११) सम्पत्ति के अर्थ में, जैसे
छत्ताणं संपइसछां (क्षत्रियों की सम्पत्ति)
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