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( २३ ) भू>हो= न्त (शत) होतो, होतं (ई) होगई, होने के
होएंतो होएंतं होएइ अर्थ में माण (शानच्) होप्रमाणो, होप्रमाणं होप्रमाणी,
होएमाणो होएमाणं होएमाणी इसी प्रकार गम् (गच्छंतो), पा (पाअंतो) चल (चलंतो) दा (दंतो) आदि कृदन्त रूप भी जानना चाहिए। वर्तमानकालिक कृदन्त का वर्गीकरण निम्न प्रकार किया जा सकता है :(क) कर्मणि वर्तमान कृदन्त :-इस कृदन्त में धातु में
कर्मवाच्य के प्रत्यय (ईअ, इज्ज) जीड़कर उसी के साथ न्त, माण एवं ई प्रत्यय जोड़ देते हैं । जैसे :-हस् धातु से हस + ईअ+न्त +ो हसीअंतो। हस् + ईअ+माण + प्रो=हसीप्रमाणो। हस + इज्ज+न्त -- ओ= हसिज्जतो. हसिज्जमाणो
आदि। (ख) मावि वर्तमान कृदन्त :-इसमें भावि प्रत्यय
(ईन, इज्ज) जोड़कर उसी के साथ न्त, माण प्रत्यय जोड़े जाते हैं। जैसे :-भण् (कहना) धातु से 'भण् + ईन + न्त = भणीअंतं, भणीप्रमाणं ।
भण+ इज्ज+न्त = भणिज्जंतं, भणिज्जमाणं। . (ग) प्रेरक कर्तरि वर्तमान कृवन्त :-इसमें धातु के प्रेरक
(अ, ए, पाव, आवे प्रत्ययान्त) रूप में न्त, माण
और ई प्रत्यय जोड़ने पर कर्तृवाच्य में प्रेरणार्थक वर्तमान कृदन्त के रूप बन जाते हैं। जैसे हस् धातु
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