Book Title: Saral Prakrit Vyakaran
Author(s): Rajaram Jain
Publisher: Prachya Bharati Prakashan
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४.
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इल्ल - गुण + इल्ल सोहा + इल्ल
उल्ल - वियार + उल्ल
इर
वंत -
मंत
( ३२ )
आल
रस + आाल =
आलु - दया + प्रोलु =
रसालो
दयालू
लज्जा + आलु = लज्जालु
गव्व + इर=
गव्विरो
धण + वंत:
धणवंतो
५. इदमार्थक :
+
पुण्णमंतो
पुण्ण + मंत: सिरि+मंत = सिरिमंतो
कव्व + इत्तो = कव्वइत्तो
सोहा + मण
सोहामणो
( गुणवान् )
गुणिल्लो सोहिल्लो ( शोभावान् ) वियाल्लो ( विचारवान् ।
=
इमा - पुप्फ + इमा:
लघु + इमा
तण - फल - त्तणं : माणुस + तणं. :
=
इत्त
मण
भावार्थक :
भाव वाचक संज्ञा बनाने के लिए 'इमा' और 'त्तण' प्रत्यय जोड़े जाते हैं । 'इमा' प्रत्यय स्त्रीलिंग एवं 'तण' प्रत्यय पुल्लिंग एवं नपुंसक लिंग में प्रयुक्त होते हैं ।
जैसे :
( रसवान् )
( दयावान् ) (लज्जावान् )
(गर्ववान्, अहंकारी)
( धनवान् )
( पुण्यवान् )
( श्रीमान् )
पुप्फिमा
लघिमा
फलत्तणं
माणुसत्तणं
( काव्यवान् )
( शोभावान् )
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( पुष्पत्वम् )
( लघुत्वम्
( फलत्वम् )
( मनुष्यत्वम् )
"यह इसका है" इस प्रकार का सम्बन्ध बतलाने के लिए 'केर' एवं 'एच्चय' प्रत्यय जोड़े जाते हैं । जैसे :

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