Book Title: Saral Prakrit Vyakaran
Author(s): Rajaram Jain
Publisher: Prachya Bharati Prakashan

View full book text
Previous | Next

Page 44
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir दो-सव्व + दो = सव्वदो = (पंचमी) __ हि-त+हि =तहि = (सप्तमी) ह-त+ह तह = त्थ-त+त्थ = तत्थ = १२. स्वार्थिक : संस्कृत के स्वार्थिक 'क' प्रत्यय के स्थान पर प्राकृत में विकल्प से अ, इल्ल, उल्ल, ल एवं ल्ल आदि आदेश होते हैं। जैसे : अ-चंद - अ = चंदनो, चंदो. इल्ल-पल्लव+ इल्ल-पल्लविल्लो, पल्लवो. उल्ल-हत्थ+ उल्ल = हत्थल्लो, हत्थो ल -पत्त+ल . = पत्तलं. ल्ल ---नव+ल्ल = नवल्लो एक+ल्ल = एकल्लो . छठवाँ पाठ स्त्री प्रत्यय किसी भी व्याकरण के नियम के अनुसार स्त्रीलिंग शब्द दो प्रकार के माने गए हैं--(१) मूल स्त्रीलिंग शब्द अर्थात् जिन शब्दों का मूल अर्थ स्त्रीलिंग सूचक है। जैसेलच्छी (लक्ष्मी) माला, लदा (लता), जडा (जटा) आदि । (२) वे स्त्रीलिंग शब्द, जो प्रत्यय जोड़कर बनाए जाते हैं। इस नियम के अनुसार पुल्लिग शब्दों में स्त्री-वाचक प्रत्यय जोड़ देने से वे स्त्रीलिंग सूचक शब्द बन जाते हैं। जैसे : For Private and Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94