Book Title: Saral Prakrit Vyakaran
Author(s): Rajaram Jain
Publisher: Prachya Bharati Prakashan

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Page 45
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org ( ३६ ) Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir राया (राजा) शब्द से ई प्रत्यय जोड़कर (राया + ई) राणी बंभण = ( ब्राह्मण + ) = बंभणी आदि । ( संस्कृत - व्याकरण की दृष्टि से स्त्री प्रत्यय आठ प्रकार के हैं : - ( १ ) टाप् (२) डाप (३) चाप् ( ४ ) ङाप् (ग्रा) (५) ङीष् (६) ङीन् (ई) (७) ऊङ (ऊ), ८ ) ति । किन्तु चूँकि प्राकृत भाषा की सरलीकरण की प्रवृत्ति है, अतः उसमें केवल तीन प्रकार के ही स्त्री-प्रत्यय मिलते हैं। (१) आ, (२) ई, (३) ऊ । इनके नियम निम्न प्रकार हैं: १. प्रायः प्रकारान्त शब्दों को स्त्री - वाचक बनाने के लिए " " प्रत्यय जोड़ा जाता है । जैसे *-*-* बाल + आ = बाला ( कन्या) । वच्छ + श्रा = वच्छा (वत्सा) पोड + आ = पोढा (प्रौढा) २. संस्कृत भाषा के नकारान्त ( शब्द के अन्त में 'न' आने वाले) तकारान्त ( शब्द के अन्त में 'त' आने वाले) एवं रकारान्त शब्दां को स्त्री-वाचक बनाने के लिए 'ई' प्रत्यय जोड़ा जाता है । जैसे (क) न् - मालिन + ई = मालिणी (मालिनी) (रानी) (ब्राह्मणी) ( पुत्रवती ) राया + ई = राणी बंभण + ई = बंभणी त् - पुत्तवप्र + ई = पुत्तवई धणव + ई = घणवई ( धनवती ) सिरिम + इ = सिरिमई (श्रीमती) इकु भार + ई = कुंभारी, (कुम्हारी) सुवणार + ई = सुवण्णधारी ( सुनारिन) कुमार + ई = कुमारी For Private and Personal Use Only

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