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सम्यक्त्वशल्योद्धार
(३६) अशोक वृक्ष बनाते हो, यह श्रावक का धर्म है।
(३७) अष्टोत्तरी नात्र कराते हो । यह श्रावक की करणी है, और इस से अरिहंत पद का आराधन होता है, यावत् मोक्ष सुख की प्राप्ति होती है, श्रीरायपसेणीसूत्र प्रमुख सिद्धांतों में सतरह भेद से यावत् अष्टोत्तरशत भेद तक पूजा करनी कही है।
(३८) प्रतिमा के आगे नैवेद्य धराते हो यह उत्तम है, इस से अनाहार पद की प्राप्ति होती है। श्रीहरिभद्रसूरि कृत पूजापंचाशक तथा श्राद्ध-दिन-कृत्य वगैरह ग्रंथों में यह कथन है।
(३९) श्रावक और साधु के मस्तकोपरि वासक्षेप करते हो, यह सत्य है| कल्पसूत्रवृत्ति वगैरेह शास्त्रों में कहा है परंतु तुम (ढूंढक) दीक्षा के समय में राख डालते हो सो ठीक नहीं है, क्योंकि जैन शास्त्रों मे राख डालनी नहीं कही है।
(४०) नांद मंडाते हो लिखा है, सो ठीक है, नांद मांडनी शास्त्रों में लिखी है ।। श्री अंगचूलियासूत्र में कहा है कि व्रत तथा दीक्षा श्रीजिनमन्दिर में देनी - यतः
तिहि नखत्त मुहुत्त रविजोगाइय पसन्न दिवसे अप्पा वोसिरामि । जिणभवणइपहाणखित्ते गुरू वंदित्ता भणइ इच्छकारि तुम्हे अम्हं पंचमहव्वयाइं राइभोयणवेरमणछठाई आरोवावणिया ।।
भावार्थ - तिथि, नक्षत्र, मुहूर्त, रविजोग आदि जोग, ऐसे प्रशस्त दिन में, आत्मा को पाप से वोसिरावे, सो जिनभवन आदि प्रधान क्षेत्र में गुरु को वंदना कर के कहे-प्रसाद कर के आप हम को पांच महा व्रत और छठ्ठा रात्रि भोजन विरमण आरोपण करो (दो)।
(४१) पदीकचाक बांधते हो लिखा है, सो मिथ्या है। (४२) वंदना करवाते हो, वंदना करनी सो श्रावकों का मुख्य धर्म है ।
(४३) लोगों के सिर पर रजोहरण फिराते हो, यह काम हमारे संवेगी मुनि नहीं करते हैं, परंतु तुम्हारे रिख यह काम करते हैं, सो प्रथम लिख आए हैं।
(४४) गांठ में गरथ रखते हो अर्थात् धन रखते हो, यह महा असत्य है । इस तरह लिखने से जेठे ने तेरहवें पापस्थानक का बंधन किया है ।
(४५) दंडासन रखते हो लिखा, सो ठीक है, श्रीमहानिशीथसूत्र में कहा है। (४६) स्त्री का संघट्टा करते हो लिखा है, सो मिथ्या है।
(४७) पगों तक नीची पछेवडी ओढते हो लिखा है, सो मिथ्या है, क्योंकि संवेगी मुनि ऐसे नहीं औढते है, परन्तु तुम्हारे रिख पग की पानी (अड्डियों) तक लंबा घघरे जैसा चोलपट्टा पहिनते हैं।
(४८) सूरिमंत्र लेते हो लिखा है, सो गणधर महाराज की परंपरा से है, इस वास्ते सत्य है।
(४९) कपडे धुलवाते हो लिखा है, सो असत्य है। १ श्रीव्यवहारसूत्र भाष्यादिक में भी दंडासण रखना लिखा है।
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