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६५. दूसरी नरक से एक एक रज्जू की वृद्धि ।
६६. सम्यक्त्व के ६७ बोल ।
६७. पाखी पडिकमणे में बारह लोगस्स का काउसग्ग करना । ६८. चौमासी पडिकमणे में बीस लोगस्स का काउसग्ग करना । ६९. संवच्छरी को ४० लोगस्स का काउसग्ग करना । ७०. संवच्छरी को पैंठ का तेला ।
७१. पातरे लाल काले सफेद रंग ने ।
७२. रोज पडिकमणेमें चार लोगस्स का काउसग्ग करना । ७३. मरुदेवी माता हाथी के हौदे पर मोक्ष गई ।
७४. ब्राह्मीसुंदरी कुमारी रही ।
७५. भरत बाहुबल का युद्ध ।
७६. दश चक्रवत्ती मोक्ष गये ।
७७. नंदिषेण का अधिकार ।
७८. सनतकुमार चक्रवर्ती का रूप देखने को देवता आये ।
७९. छट्ठे महिने लोच करना ।
८०. भरतजी के दश लाख मण लूण नित्य लगे ।
८१. बाहुबलि को ब्राह्मीसुंदरी ने कहा "वीरा मोरा गज थकी उतरो"
८२. बाहुबलि १ वर्ष काउसग्ग रहा ।
८३. सगर चक्रवर्त्ती के साठ हजार बेटो ।
८४. भगीरथ गंगा लाया ।
८५. बारह चक्रवर्त्ती की स्थिति ।
८८.
८६. बारह चक्रवर्त्ती की अवगाहना । ८७. नव वासुदेव बलदेवों की स्थिति । नव बासुदेव बलदेवों की अवगाहना । ८९. नव प्रतिवासुदेवों की स्थिति । ९०. नव प्रतिवासुदेवों की अवगाहना । ९१. नव नारद के नाम ।
९२. चौवीस तीर्थंकर के अंतरे ।
९३. एकादश रुद्र ।
९४. स्कंदक मुनि की खाल उतारी ।
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