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पर प्रस्ट्रो शोभा वाले लीची के पेड़ बोहै। स्त्री की कटि इन्द्र के पत्रको शोभा को जीतने वालो कान्ति के विकास को लिये हुये होती है, तो नटी पवित्र जन्म वाले काश से व्याप्त हो रही है।
अलका नगरी गरीयसी-ह गिगवुचरतो नहीशी । धनदम्प पूरी परीक्ष्यने प्रतिभूषेत्र ममस्तु मालितेः ।१० प्रयं-रग पर्वत पर उतर की तरफ को नगरियों में एक प्रलका नाम को नगर्ग है जिम के मागे कुवेर को पुगे भी कोई चीज नहीं प्रतीत होता मी प्रस्ट्री बनी हुई है. वस्तुत: उसको इस पृथ्वी का प्रसार हो ममभना चाहिये।
3 शामनात प्रभाव भ म महाकच्छनृपः कदाप्यभून यामा विद्यमान्मज मा कमपाकतु मुनाधितो रमान ।११
प्रयं-कोई एक ममय उम नगरी का शासन करने वाला महाका नामका गजा था जो कि बरा प्रभावशाली था, जिसने अपने या मे तो चन्द्रमा को प्रोर अपने तेज प्रताप से सूर्य को भी जोन लिया या इस प्रकार वा बहुत प्रसो ढंग से रह रहा था।
अमकम्य वमत्र दामिनीन्यमिधा भूमिपतः मुभामिनी सचिम्मनो नगामिनी-व जगमकरम्य कामिनी । १२
___प्रयं-वह राजा मेघ के समान सब लोगों की भलाई करने वाला था, उसके दामिनी नाम को रानो यो जो कि उत्तम काम नेहा को धारक होती हुई भी मेघ के पीछे र होने वाली बिजली के समान राजा को इच्छानुसार चलने वालोगी।