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भले
गुण
प्रोर प्रच्ये रूपकी धारक लड़की हुई है। संसार की ऐसी हो व्यवस्था है कि इसमें पिता तो पति बन जाता है, बी से लड़की, लड़को से श्री प्रोर माता भी यह जीव बन जाता है । अभिद्रोनरमित्रसंज्ञित मकामितो यस्य कृतं त्वया हितं उरीकरोतीत पूर्णचन्द्रनवाथ याऽऽसीत्खलु वारुणीता | २० |
प्रयं भवमित्र जिसका नाम था, रत्न वापिस दिलाकर जिसका तूने भला किया या वह में अब तेरा सिहचन्द्र नाम लड़का होकर तप कर रहा हूं और वह तेरी वारुणी नामकी लड़की थी मो प्राकर तेरे पुर्णचन्द्र नामका लड़का हुप्रा जो कि प्रत्र राज्य कर रहा है।
नरोऽल्पकामेन भवताम्रपति कामातिशयात्म एव तां एवोरभातामहो दीयं तनुधारिणां मता ॥ ३० ॥
प्रयं - यह जीव जब कि स्वल्प काम वासनावाला होता है तो उसकी वजह से पुरुष शरीर धारी बन जाता है किन्तु जब इसे कामको उत्कट वामना सताती है तो वही वो बन जाया करता है और घोर विपरीतादि कामवासना के वशमे तो नपुंसकपन को ही प्राप्त हो लेता है। इस प्रकार इस संसार में इन शरीर धारियो का नर से नारी और नारी से नपुंसक या पुरुष, इसी प्रकार प्रवस्था बदला करती है।
म भद्रवाहोनिकटे निभवन पिताऽऽपि ते पूर्णविधुश्च मामवन् उवाह सर्वाधिवशेषमुज्ज्वलं निर्गीयते यच्छिववम्बलं । ३१ ।