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उससे स्वीकार को हुई हजारों प्रौरतें थी जो सभी खुश रहती थीं। जो भूमिपाल होता है वह भूमि रहित कसे हो सकता है परन्तु वह राजा बहुत बड़ी पृथ्वो का स्वामी होकर भी विभु पा, बड़े बड़े राजामों से मान्य था । जो खुद निमल चेष्टावाला हो वह पौरों को मैला नहीं कर सकता किन्तु वह स्वभाव से निर्मल होकर पृथ्वी को मच्छोतरह अलंकृत करता था। धरातलेऽस्मिन्महिपीभिरश्चितश्चपूर्णरीन्या वृपभावमंश्रितः वभव नार्गच्छित कन्पुमानयं नभोगतत्वातिगतश्च विस्मयः ।४३
प्रयं-वह राजा पूरी तौर से धर्म भावनाको स्वीकार किये हए था और उसके कई पट्टरानियां यों, यद्यपि जो बल हो वह भसा के द्वारा स्वीकृत नहीं हो सकता । पुरुष हो कर नारियों को सी चेष्टा नहीं कर सकता किन्तु वह पुरुष वरियों को सहन नहीं कर पाता था। जो प्रासमान में नहीं चल सकता वह पक्षो नहीं होता किन्तु वह सम्पूर्ण भोगोपभोग का अधिकारी होकर भी किसी प्रकार के घमण्ड को नहीं रखता था।