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मारे जलता हो रहता है जिससे कि वर प्रजा के सभी लोगों को सताने वाला होकर नरक में पड़ता है एमा वृद्ध लोग कह गये हैं।
यः स्यात् परमुखापेक्षा वेव लोक विगाहनः । म्बदोामर्ज येचि सत्यवान मिहनामरः ॥३४।।
अपं-प्रतः जो प्रादमी सिंह के समान साहमवान है उसे चाहिये कि वह अपने हाथों से अपनी प्राजीविका करे, दूसरे के भरोस पर न रहे, क्योंकि जो प्रपना पेट पालने के लिये भी दूसरा का हा मुंह ताका करता है वह इस दुनिया में फुत की भांति निन्ध माना गया है।