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अट्ठमो भवो ]
खेड्डम हिसारियाओ वियड्ढपिययमकथं भरतीओ । नियगेहाइ सहरिसं गयाउ रोमंचियंगोओ ॥७०३ ॥ उभयताराहरणा पुव्वदिसा मच्छरेण वायंबा । जाया अवरदिसामुहलग्गं दट्ठूण व मियंकं ॥७०४॥ उययधराहर सिहरं सूरो अह वियडतुंगमारूढो । आरत्तमंडलो तिमिरनिवहसंजायरोसो व्व ॥ ७०५॥ घडियाइ विसमविहडिय विओयदुक्खाई चक्कवायाइं । दुहिम के व न कुणइ उयओ सुहियं सुमित्तस्स ॥७०६ ॥ पवियसियकमलनयणा महुयरगुंजंतबद्धसंगीया ।
पण पत्तहत्था जाया सुहृदंसणा नलिणी ॥७०७ ॥
कुमारगुणचंदो वि य उचिए रयणिविरामसमए गोधमंगलुम्मीसेण पहाउयतूरसद्देण विबोहिओ समाणो काऊण तक्खणोचियमावस्सयं उचियवेलाए चैव निग्गओ उज्जाणदंसणवडियाए । ठिओ
क्रीडामभिसारिका विदग्धप्रियतमकृतां स्मरन्त्यः । निजगेहानि सहर्षं गता रोमाञ्चिताङ्गयः ।। ७०३॥ उज्झतताराभरणा पूर्वदिग् मत्सरेणवाताम्रा । जाताऽपरदिग्मुखलग्नं दृष्टेव मृगाङ्कम् ।।७०४।। उदयधराधरशिखरं सूरोऽथ विकटतुङ्गमारूढः । आरक्त मण्डलस्तिमिरनिवहसञ्जातरोष इव ॥७०५ | घटिता विषमविघटितवियोगदुःखाः चक्रवाकाः । दुःखितमथ कमिव न करोति उदयः सुखितं सुमित्रस्य ||७०६ || प्रविकसितकमलनयना मधुकर गुञ्जद्बद्धसङ्गीता ।
पवनधूतपत्रहस्ता जाता शुभदर्शना नलिनी ॥७०७ ॥
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कुमारगुणचन्द्रोऽपि च उचिते रजनीविरामसमये गीतमङ्गलोन्मिश्रेण प्राभातिकतूर्य शब्देन विबोधितः सन् कृत्वा तत्क्षणोचितमावश्यकमुचितवेलायामेव निर्गत उद्यानदर्शनोद्देशेन । स्थितस्तत्र
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श्रम को दूर करता हुआ बहने लगा । रोमांचित अंगोंवाली अभिसारिकाएँ विदग्ध प्रियतमों के द्वारा की हुई क्रीड़ा का स्मरण करती हुई हर्षपूर्वक अपने घरों को चली गयीं । पश्चिम दिङ, मुख में लगे हुए चन्द्रमा को देखकर ही मानो द्वेषवश कुछ-कुछ ताम्रवर्ण वाली पूर्वदिशा तारारूप आभूषणों को छोड़ने लगी । अन्धकार समूह के प्रति रोष उत्पन्न हुए के समान कुछ-कुछ लालवर्ण वाले मण्डल से युक्त सूर्य उदयाचल के अत्यन्त ऊँचे शिखर पर आरूढ़ हो गया । विषम वियोग से दुःखी चकवे मिल गये । सुमित्र (सूर्य) का उदय किस दुःखित (प्राणी) को सुखी नहीं करता ? विकसित कमलरूप नेत्रोंवाली, गुंजार करते हुए भौरों से संगीत को बद्ध करनेवाली और वायु के द्वारा हिलाये गये पत्तेरूपी हाथोंवाली कमलिनी शुभदर्शन वाली हो गयी ।।६६५-७०७ ।।
कुमार गुणचन्द्र भी रात्रि के विराम का समय होने पर मंगल गीतों से मिले हुए प्रातःकालीन वाद्यों के शब्द से जागकर; उस समय करने योग्य सभी आवश्यक क्रियाओं को करके उद्यान को देखने के उद्देश्य से निकले ।
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