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[ समराइन्याहा पूइज्जमाणो लोएण उवगिज्जमाणो अच्छराहिं थुत्वमाणो देवसंधाएण चइऊण देहं समुप्पन्नो बबटुसिद्ध महाविमामे तेतीससागरोधमाऊ देवत्ताए ति।
॥ समत्तो अटुंमो भवो॥
मांनो मुनिगणः पूज्यमानो लोकेनोपगीयमानोऽप्सरोभिः स्तूयमानो देवसंघातेन त्यक्त्वा देहं समुत्पन्नः सर्वार्थसिद्धे महाविमाने त्रयस्त्रिशत्सागरोपमायुर्देवत्वेनेति ।
॥ समाप्तोऽष्टमभवः ।।
जाकर, देवसमूह द्वारा स्तुत हो, देह त्याग कर सर्वार्थसिद्धि नामक विमान में तेतीस सागर की आयुवाले देव के रूप में उत्पन्न हुए।
॥ आठवां भव समाप्त ॥
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