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त्रिकरण ऐसे होता है सहज
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बाकी है। अब उस इन्कम टैक्स ऑफिसर को यह ज्ञान नहीं मिला है, अर्थात् उसे अहंकार है। अब वह अहंकार से मेरा कुछ बिगाड़ सकता है क्या?
दादाश्री : नहीं! आपका कुछ नहीं बिगाड़ सकता, अगर आप उसे अहंकार से जवाब नहीं दो, तो।।
प्रश्नकर्ता : मैं तो उसके पास जाता भी नहीं। मुझे उसके पास जाने की ज़रूरत भी नहीं पड़ती लेकिन यह फाइल रूटीन में आती है।
दादाश्री : उसमें कोई दिक्कत नहीं है।
प्रश्नकर्ता : लेकिन यदि वह ऑफिसर अहंकारी हो तो मुझे कुछ नहीं कर सकेगा?
दादाश्री : उसे संडास जाने की शक्ति नहीं है तो आपका क्या करेगा? आपका कब करेगा कि जब आप ऐसा कहो कि ऐसे ऑफिसर को मैं देख लूँगा।
प्रश्नकर्ता : ऐसा तो कोई नहीं करेगा।
दादाश्री : हाँ, आप सहज हो, नम्र हो तो आपको कुछ नहीं होगा। यदि आप उसे दुःख नहीं देते तो वहाँ व्यवस्थित में कोई बदलाव नहीं होगा। उसकी शक्ति ही नहीं है, बेचारे की!
प्रश्नकर्ता : अब एक तरफ तो आप ऐसा कहते हो कि उसे संडास जाने की शक्ति नहीं है और दूसरी तरफ कहते हो कि उसे अहंकार है।
दादाश्री : वह तो, यदि उसे दुःख देंगे तो। सामने वाले को दुःख देने की शक्ति उसमें है इसलिए हमारा कोई भी शब्द ऐसा नहीं निकलना चाहिए।
तब आएगा हल प्रश्नकर्ता : इस संसार में दखलंदाजी किए बगैर क्यों नहीं रह पाते होंगे?