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अंत:करण में दखल किसकी?
...तब आती है सहज दशा डिस्चार्ज अहंकार पूरा होने के बाद, देह जो क्रिया करती है, वह सहज क्रिया कहलाती है, एकदम सहज। उस समय आत्मा भी सहज और यह भी सहज। दोनों अलग और दोनों सहज। अतः जब यह डिस्चार्ज अहंकार पूरा हो जाता है तब सहज दशा आती है।
पुद्गल, अपने स्वभाव में आ गया। पुद्गल नियम में आ गया। क्योंकि जो दखल करने वाला था वह चला गया। पुद्गल हमेशा नियम के अनुसार ही रहता है लेकिन यदि दखल करनेवाला नहीं रहा तो! जैसे कि एन्जिन में कोयले वगैरह भरकर सबकुछ कम्प्लीट कर दें और यदि ड्राईवर न हो, तो वह अपने आप चलता ही रहेगा, उसका स्वभाव ही है। यदि दखल करने वाला भीतर बैठा हो तो वह रोकेगा, फिर चालू करेगा। यदि पुद्गल में दखलंदाजी न हो तो यह एकदम साफ होता ही रहेगा लेकिन यह दखलंदाजी करता है। दखल करता है इसलिए फिर दखलंदाजी हो जाती है। दखलंदाजी करने वाले कौन हैं? वे सभी अज्ञान मान्यताएँ और आपत्तियाँ!