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सहजता
रखे ऐसे व्यक्ति, लेकिन धीरे-धीरे सब कम कर दिया, फिर एकता हो गई। जुदाई रखने में क्या होता है ? वह अलग ही दिखाई देता है।
सहजता के लक्षण सहज किसे कहा जाता है कि यहाँ एक व्यक्ति पाँच बजे आया, वह नौ बजे यहाँ से उठे। तब तक सभी की समूह क्रिया क्या चल रही है, सभी दादा भगवान बोलते हैं तो वह भी दादा भगवान बोलता है। सभी गाते हैं तो वह भी गाता है फिर सभी गरबा गाते हैं तो वह भी गरबा गाता है। वह सब सहज, उसमें खुद का कुछ भी नहीं। खुद की डिज़ाइन अनुसार नहीं करें। अब यदि वहाँ खुद का ड्रॉइंग बनाए तो वह सहजता चूक गया कहा जाएगा। वहाँ लोग खुद का ड्रॉइंग बनाते हैं न? क्योंकि अपना विज्ञान ही ऐसा है कि यदि आप मन को ऐसा कह दो, ये सब कहे उसके अनुसार ही करना है तो मन खुश हो जाएगा और इन सभी के जैसा करने में उसे आनंद भी होता है। लेकिन यदि अपने मन में थोड़ा सा भी खुद का ड्रॉइंग बनाया तो फिर डूबकी लगानी पड़ती है। वह डोजिंग (सहजता चूक गए) कहा जाता है।
इसलिए जब वे लोग गाते हों, उस समय हमें गाना है, वे कूद रहे हों तब कूदना है। यहाँ सभी कूद रहे हों तब हमें भी कूदना है। यदि कूद नहीं सकते तो बैठे रहना है, देखते रहना है।
यह अपना जो विज्ञान है न, उसमें जो कुछ भी होता है वह सब प्रतिक्रमण है। पहले जो कुछ भी राग-द्वेष किए हों, कुछ देखा हो और हमें अच्छा नहीं लगे, बोरियत लगती हो तो भीतर वे परमाणु भर गए हैं, इसलिए उन्हें ऐसा 'देखने' से वे सब चले जाते हैं। सभी अभिप्राय खत्म हो जाने चाहिए कि यह गलत है और यह अच्छा है। ___अर्थात् आपका जो भी उदय आए, 'चंदूभाई' उसमें एकाकार हो जाए उसे 'आपको' देखते रहना है, दोनों को अपने-अपने काम में रहना है।
वह चिढ़ बनाती है असहज मुंबई में हमें पूछते हैं कि आपके यहाँ आकर भी ताली बजानी