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सहजता
इन्होंने दादाजी का छत्तीस घंटे का वीडियो बनाया, तो इन्हें फोटो लेने की कितनी इच्छा रही होगी? छत्तीस घंटे का वीडियो का मतलब वह फिल्म कितने घंटे चलेगी? हमें सिनेमा देखने के लिए चाहिए न? ऐसे बारह दिनों तक देखेंगे तब जाकर वह खत्म होगी! पूरे अमरीका में मेरे साथ घूमा, सभी जगह की वीडियो ली! छत्तीस घंटे की वीडियो अर्थात् बोलते-चलते सभी तरह की! कहते हैं, रोज़ देखते ही रहते हैं। यही देखते रहते हैं, हमें और क्या देखना है ?
यहाँ अमरीका से वहाँ इन्डिया भिजवाने वाले हैं बारह घंटे की ऐसी सभी थोड़ी-थोड़ी लेकर। बहुत अच्छा कहलाएगा! लोग देखेंगे न !
ये सभी बातें हम सहज समाधि में करते हैं। हम पूरे दिन सहज रहते हैं क्योंकि हम इस देह के एक पल के लिए भी मालिक नहीं होते, इस वाणी के मालिक नहीं और इस मन के भी मालिक नहीं। शरीर का मालिकीपन छब्बीस वर्षों से चला गया और छब्बीस वर्षों से समाधि नहीं जाती, एक सेकन्ड के लिए भी। यदि हमें कोई चाटा मारे तो भी हमें समाधि रहती है, हम उसे आशीर्वाद देते हैं। यदि सहज समाधि देखनी हो तो हमारी यह प्रत्यक्ष समाधि देखना!
जहाँ नो लॉ लॉ, वहाँ सहजता प्रश्नकर्ता : ज्ञानी का अंत:करण कैसे कार्य करता है?
दादाश्री : यदि 'खुद' हट जाए तो अंत:करण से 'आत्मा' अलग ही है। यदि आत्मा अलग हो जाएगा तो संसार के कार्य अंत:करण से चलते ही रहेंगे। अलग होने के बाद ज्ञानी का अंत:करण खुद ही स्वाभाविक रूप से काम करता रहता है क्योंकि दखलंदाजी बंद हो गई न! इसलिए अंत:करण का कार्य बहुत अच्छा चलता है और जहाँ ज़रूरत पड़ती है वहाँ लोगों के लिए उपयोगी हो जाता है। आत्मा के अलग हो जाने पर संसार के सभी कार्य अंत:करण से चलते रहते हैं, उसे ही सहज कहते हैं!
मन-बुद्धि-चित्त और अहंकार हाज़िर ही रहते हैं, उससे संपूर्ण रूप से जागृति रहती है, वीतराग ही रहते हैं।