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अंत में प्राप्त करना है अप्रयत्न दशा
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प्रश्नकर्ता : लेकिन वह किस तरह से? क्योंकि अभी के सभी संयोग ऐसे हैं कि एक भी चीज़ को हटाने से हट जाए, ऐसी नहीं है। भावना में तो है लेकिन पहला रास्ता यह है कि उन चीज़ों से अलग हो जाना है।
दादाश्री : 'आइ' विदाउट 'माइ' इज़ गॉड। सभी ‘माइ' की झंझट
है।
प्रश्नकर्ता : अर्थात् यदि ‘माइ' को निकाल देंगे तो भले ही चीजें वहीं के वहीं पड़ी रहे?
दादाश्री : हाँ, बस, अंत में इस देह को भी सहज करना है। जिसने ज़्यादा चित्रण किया हो, उसने ज़्यादा असहज किया है इसलिए उसे सहज होने में समय लगेगा। हमने चित्रण नहीं किया है इसलिए जल्दी से हल आ गया!