Book Title: Sahajta Hindi
Author(s): Dada Bhagwan
Publisher: Dada Bhagwan Aradhana Trust

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Page 172
________________ नहीं करना कुछ भी, केवल जानना है दादाश्री : प्रयास की ज़रूरत है लेकिन वह उसका करने वाला नहीं होना चाहिए। प्रयास की ज़रूरत नहीं है, अगर ऐसा कहेंगे तो फिर लोग तो काम करना ही छोड़ देंगे । छोड़ देने का भाव करेंगे इसलिए प्रयास की ज़रूरत है । १३३ प्रश्नकर्ता : लेकिन अंदर की हकीकत क्या है, एक्ज़ेक्ट ? दादाश्री : वह प्रयास करने वाला ही चला गया तो बस हो गया। प्रश्नकर्ता : ये जो मन-वचन-काया की प्रक्रिया होती है उस समय प्रयास करने वाला वास्तव में होता है क्या ? दादाश्री : प्रयास करने वाला है इसीलिए यह प्रयास कहलाता है। वह सहज नहीं कहलाता । यदि प्रयास करने वाला चला जाता है तो वही चीज़ फिर सहज कहलाती है। प्रश्नकर्ता : तो यह मन-वचन-काया की जो प्रक्रिया, प्रयास करने वाला करता है तब जो हो जाता है और प्रयास करने वाला चला जाता है तब जो हो जाता है, वह वास्तव में तो दोनों मिकेनिकल ही था न ? होता? दादाश्री : होने में चीज़ एक ही है, होने में चेन्ज नहीं है । प्रश्नकर्ता : अर्थात् यदि इसने प्रयास नहीं किया होता तो भी वही दादाश्री : प्रयास में दखल है, वही झंझट है । प्रश्नकर्ता : दखल का भोगवटा खुद को आता है या दखल से मन-वचन-काया में परिवर्तन होता है ? दादाश्री : वह परिवर्तन (बदलाव) होने वाला ही नहीं है । प्रयास किया इसलिए अप्रयास नहीं कहेंगे । प्रश्नकर्ता : वह सही है लेकिन वह जो प्रयास होता है, उससे मन-वचन काया की प्रक्रिया में बदलाव होता है क्या ? दादाश्री : कुछ भी बदलाव नहीं होता !

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