________________
[6] अंतःकरण में दखल किसकी?
बुद्धि करवाती है असहजता प्रकृति कब सहज होगी? जब बुद्धि बहन विश्राम लेगी तब प्रकृति सहज होगी। जब तक कॉलेज में पढ़ते थे तब तक बुद्धि बहन आती थी, लेकिन अब पढ़ाई पूरी होने के बाद उसकी क्या ज़रूरत है? अब, उसे कह दो कि 'आप घर पर रहो, हमें आपकी ज़रूरत नहीं है।' उसे पेंशन दे देना है। बुद्धि चंचल बनाती है इसीलिए आत्मा का जो सहज स्वभाव है उसका स्वाद चखने को नहीं मिलता। बाहर का भाग ही चंचल है, लेकिन यदि बुद्धि को बाजू में बैठाए रखे तो सहज सुख बरतेगा! यदि कुत्ता दिखा तो ही बुद्धि कहेगी, 'कल उसे काटा था, उसी के जैसा यह कुत्ता दिखाई दे रहा है, यदि मुझे काट देगा तो?' अरे, उसके हाथ में क्या सत्ता है ? 'व्यवस्थित' में होगा तो काटेगा। बुद्धि, तू बाजू में बैठ जा। अगर खुद की सत्ता होती तो लोग खुद का सीधा नहीं करते? लेकिन सीधा नहीं हुआ। बुद्धि तो शंका करवाती है। शंका होने से दखल होता है। हमें तो अपने नि:शंक पद में रहना है। संसार तो शंका, शंका और शंका में ही रहने वाला है।
करो डिवैल्यू, एक्स्ट्रा बुद्धि की मन-बुद्धि-चित्त-अहंकार ये चारों जो अंत:करण के रूप में हैं उसमें कोई दिक्कत नहीं, लेकिन यह जो एक्स्ट्रा बुद्धि है वह किसी काम की नहीं है।
यह संसार ही बुद्धि की दखल है। यदि यह बुद्धि नहीं होती तो संसार रहता ही नहीं। हमारी बुद्धि खत्म हो गई है इसलिए हमें बुद्धि के