________________
श्री रतनलालजी बदलिया, श्री कान्तिलाल नेमचंद, राजवैद्य श्री जसवन्तराय जी जैन आदि कलकत्ता एवं श्री अनोपचंदजी झाबक, श्री प्रतापकुमारजी टोलिया आदि भक्तजन जो इस ग्रन्थ के शीघ्र प्रकाशन के हेतु चिरप्रेरणा करते आये हैं, धन्यवाद के पात्र हैं। पूज्य काकाजी श्री मेघराज जी व श्री अगरचंदजी नाहटा की सतत् प्रेरणा व अमूल्य सहयोग इसके प्रकाशन में मुख्य कारण हैं। गुरुदेव के अनन्य भक्त जोधपुर निवासी माननीय श्री मगरूपचंद भंडारी ( रिटायर्ड डिस्ट्रिक व सेसन्स जज, जोधपुर) महोदय की श्रद्धांजलि सादर प्रकाशित की जा रही है। परमपूज्या माताजी के आशीर्वाद से इसका दूसरा भाग व विस्तृत जीवनी भी शीघ्र प्रकाश आवे, ऐसी भावना है। दृष्टि-दोष से प्रस्तुत गन्थ में रही अशुद्धियों के लिए क्षमाप्रार्थी हूं। पाठक गण अन्त में दिये गए शुद्धि पत्रक से संशोधन कर पढ़ने का कष्ट करें। ____ महापुरुषों की दिव्य अध्यात्मिक जीवनी, अपूर्व वाणी तथा अलौकिक घटनाओं का जो उल्लेख इस ग्रन्थ, जीवनी तथा श्रद्धांजलि रूप में प्रस्तुत है, अनुभूति के मार्ग में प्रवेश के बिना या श्रद्धान्वित हुए बिना उसे हृदयंगम करना कठिन है। अतः मेरा अनुरोध है कि जिन्हें उस पर विश्वास न हों वे तटस्थ रहें, क्योंकि ज्ञानी की विराधना से चिकने कर्म-बंध होते हैं।
यह गन्थ प्रकट-महापुरुष की सबीज वाणी है, इसका स्वाध्याय, मनन मुमुक्षुओं को आत्म-बोधकारी हो, यही शुभ कामना ! इस ग्रन्थ का प्रकाशन व्यय स्वर्गीय श्री धन्नूलाल जी पारसान की स्मृति में उनके सुपुत्रों पारसान-बन्धुओं ने वहन किया है अतः उन्हें अनेकशः साधुवाद !
-सद्गुरु चरणोपासक भँवरलाल नाहटा
Jain Educationa International
For Personal and Private Use Only
www.jainelibrary.org