Book Title: Rekhaganit
Author(s): Atmaram Babu
Publisher: Atmaram Babu

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Page 19
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir टि. १- क्योंकि कोन एक किस्म की राशि है इसलिये यह खयंमिद्धि धाठी वयंसिद्धि को एक खास सूरत हे टि. २- कहा जाता है कि यह स्वयंसिद्धि एक प्रमेयोपपाद्य साध्य है और मुबूत इसका इस तरह हो सकता है कि कुल सीधे कोन क्योंकि वे प्रा. च्छादन से एक दूसरे पर रक्त जामती है और एक दूमरे को एक सा हैं चापममें बराबर होते हैं (स्वयंसिद्धि ८) ले किन समकोन सीधे कोन का अाधा होता है (परिभाषा १०) और बराबर चीज़ों के आधे आपस में बराबर होते है (खयंसिद्धि ७) इसलिये कुल समकोन अापसमें बराबर होते हैं (१२) अगर एक सीधी रेखा दो सीधीरेखाओं से मिलकर अपनो एक तरफा दो अन्तः कोन ऐसे ऐसे पैदा करे कि वह दोनों कोन मिल कर दो समकोन से छोटे हों तो वह दो सीधी रेखा लगातार बढ़ाई जाने से कहीं न कहीं उस तरफ़ में मिल जायगी जिस तरफ़ के कोन दो समकोन से छोटे हैं टि० - यह स्वयंसिद्धि पहले अध्याय की सत्रहवौं साध्य का विलोम है और ऐसी जाहिर बात नहीं है जिसके साबित करने के लिये दलील की हाजत न हो जो शत कुल स्वयं मिड्डियों के लिये ज़रूर है इस स्वयं सिद्धि के बदने प्ले फ़ेयर साहब ने अपनी किताब में यह स्वयं सिद्धि लिखी है “अगर हो मीधी रेखा रा क बिन्दु पर एक दूसरी को काटती हों तो वह दोनों रेखा किमी एकही रेखा की समामान्तर नहीं हो सकी है। लेकिन यह खयंसिद्धि भी एतराज से खाली नहीं है क्योंकि यह पहले अध्याय को तीसवीं साध्य का एक जाहिर नतीजा है। रेखागणित कौ साध्यों का वर्णन साध्य यह है जिसमें किसी चीज़ के बनाने वा किसी सिद्धान्त के सावित करने की गरज़ बयान को जाय और जब साध्य के यह भानी हैं तो उसकी दो किस्में हैं वस्त पपाद्य (सोपपाद्य ) और प्रमेयोपपाद्य (उपपाद) इर साध्य में कुछ चीज या मिटान्त दिये हुए होते हैं और उनसे कक. दर्यात करने का बयान होता है अगर दाल करने से किसी चीज़ के बनाने का मतलब है तो उसको वस्तूपपाद्य साध्य कहते हैं और अगर हाल करने से किसी सिद्धान्त के सिद्ध करने का मतलब है तो उसको प्रमयोपपाद्य साध्य कहते हैं वस्तूपपाद साध्य में दी हुई चीज़ों को निर्दिष्ट योर जिन चीज़ों को बनाना चाहते हैं उनको करणीय और प्रमेयोपया माध्य में दिये हुए मितान्त को कल्पितअर्थ और जो सिद्धान्त उनसे साबित करना चाहते हैं उसको फल कहते हैं रेखागणित की साध्य में ज़ियादा से ज़ियादा छः हिस्से हुआ करते है For Private and Personal Use Only

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