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अक्सर
( १७ )
अक्षरचत
अक्खड़-वि० उद्धत, शरारती, उद्दड । २ वात-बात पर अकड़ने १६ ज्ञानेंद्रिय । १७ अात्मा। १८ प्रतिविव, छाया।
वाला। ३ झगड़ालू । ४ असभ्य, बदतमीज। ५ निर्भय, १९ तस्वीर । २० गड़। २१ तूतिया । २२ सुहागा । निडर । ६ स्पष्ट वक्ता,खरा। ७ मस्त, मोजो। ८ पका-, २३ बेहड़ा । २४ सर्प । २५ अक्षयकुमार । हुआ।
--क-पु० बेहड़ा।—कुमार-पु० रावण का एक पुत्र । अक्खरणौ (बौ)-- देखो 'ग्रावगी' (बी)
--माळा-स्त्री० रुद्राक्ष की माला। अक्खत-देखो 'अक्षत'।
अक्षत-वि० [सं०] १ बिना टूटा हुअा, अखंडित। २ जिसकी अक्खर-देखो 'अक्षर'।
क्षति न हो । २ समूचा। ३ जो विभाजित न हो, अविअक्खरावळी-देखो 'अक्षरावळी'।
भाजित ।-पु. १ शिव । २ चावल । ३ अनाज, अन्न । अक्खरू-देखो 'अक्षर'।
४ यव, जौ। ५ कल्याण, मंगल। ६ हिंजड़ा नपुंसक । अक्खाया-पु० १ अनाज के कण । २ तीर्थकर (जैन)
–जोनि, योनि-स्त्री. वह युवती या स्त्री, जिसका पुरुष प्रखे वड़-देखो 'अक्षयवट ।
से समागम न हुआ हो। प्रक्यारथ, अक्यारथौ-देखो 'अकारथ' ।
अक्षम-वि० [सं०] १ क्षमता रहित, असमर्थ । २ अशक्त, प्रक्रम-देखो 'अकरम' ।
कमजोर । ३ विवश, लाचार । ४ अधीर, पातुर । ५ क्षमा प्रक्र-स्त्री०१ नृत्य की एक पद मुद्रा । २ नृत्य का एक भाव ।। रहित, असहिष्णु। ६ ईर्ष्यालु ।-ता-स्त्री० असामर्थ्य, अक्रत-पु. [सं०---कृत्य] पाप, अपराध, कुकृत्य, दुष्कर्म ।। असमर्थता । अशक्तता, कमजोरी। विवशता, लाचारी।
अकर्म । -वि० [सं० अ+कृत] १ बिना किया हुआ । अधीरता, । असहिष्णुता। ईर्ष्या । २ बिगड़ा हुआ । २ स्वयंभू ।
अक्षय-वि० [सं०] १ अनश्वर, अविनाशी। २ सदा बना रहने अक्रतघण-वि० [सं० प्रकृतघ्न | कृतन ।
वाला, स्थाई। ३ जिसकी क्षति न हो। ४ जो कभी प्रति-स्त्री० [सं० य-कृति] बुरी करनी, अकार्य, कुकृत्य । समान न हो। ५ अमर । -पु. परमात्मा, ईश्वर । प्रतिम, अकृत्रिम-वि० [सं० अकृत्रिम १ जो बनावटी न हो, । ----प्रमावस-स्त्री० वैशाख की अमावस्या । कुमार-पु० प्राकृतिक । २ स्वाभाविक । ३ वास्तविक ।
रावण के एक पुत्र का नाम ।-त्रितिया, तीज-स्त्री. प्रक्रम-पू०१ समय बेला। २ क्रम का अभाव ।-वि० १ क्रम वैशाख शुक्ला तृतीया ।-धांम-पु० मोक्ष, वैकुण्ठ ।-नम, हीन बिना क्रम का । २देवो 'अकरम' ।
नमी, नवमी-स्त्री०थाद्धपक्ष की नवमी तिथि । कात्तिक शुक्ला अक्रमण्य---देखो 'अकरमण्य' ।।
नवमी तिथि ।—पाद -पु० गौतम ऋषि ।-वड़, वट-पु. अक्रमांदालत-वि० पाप नष्ट करने वाला । (ईश्वर)
प्रयाग (गया) में स्थित वट वृक्ष जो अक्षय माना गया है। अक्रम्म-१ देखो 'अकरम' । २ देखो 'अकम'।
अक्षर पु० [सं०] १ अक्षर, वर्ग, हर्फ । २ ध्वनि मंकेत, म्वर । अक्रांत-पृ० आक्रमण, हमला ।-वि० प्राराजित ।
३ शब्द । ४ अाकाशादि तत्व। ५ परमानन्द, मोक्ष । प्रक्रित-देखो 'अक्रत'।
६ शिव । ७ विष्ण । ८ ब्रह्म । यात्मा। १० ग्राकाण। प्रक्रिति, प्रक्रिती-देखो ‘ग्रक्रति' ।
११ खग। १२ जल । १३ तपस्या । १४ गत्य । प्रक्रित्रिम-देखो 'अकत्रिम' ।
१५ इंद्रा सन । १६ प्रारब्ध, भाग्य ।-क्रि०वि० प्रक्रिय-वि० निरूप निराकार ।-पु० परमात्मा। ईश्वर । १ प्रायः अक्सर । २ अचानक, महमा ।-वि० प्रक्रीत-वि० [सं०] १ जो खरीदा हुया न हो ।
१ अविनाशी, अनश्वर, अक्षय । २ अपरिवर्तनशील, २ देखो 'अकीरति'
स्थिर । ३ नित्य । ४ अच्युत। ५ सत्य । निर्विकार । प्रकर, प्रकरियौ, प्रक्र रौ पु० एक यादव जो कृष्ण के चाचा -अबली-पत्री० अक्षरों की पंक्ति, अक्षर समूह । थे। -वि० क्रूर न हो, दयालु, सहृदय ।
--कळा स्त्री०६४ कलाओं में से एक ।--गणित-स्त्री अक्रोध-पु. क्रोध का अभाव ।
बीजगणित ।-च,चण, चु-पु०-लेखक । प्रतिलिपि कार । अक्रोधा-वि० [सं०] क्रोध रहित, शान्त ।
लिपिक ।-च्युतक-पु० किमी अक्षर के जोड़ देने से किसी अक्ष-पु० [सं०] १ चौसर का खेल । २ चौसर का पामा । शब्द का भिन्न अर्थ करना । एक खेल विशेष ।
३ चक्र। ४ धुरी । ५ पृथ्वी की धुरी। ६ पृथ्वी की अक्षांश ----भवन-पु. भाल, ललाट । भाग्य ।। रेखा ७ गाड़ी । ८ रुद्राक्ष । तराजू की डांडी। --..-मुस्टिका कथन पु० चौमठ कलानों में मे एक । अंगलियों १० सोलह माणे का एक तोला, कर्प। ११ एक पैमाना । के मंकेत द्वारा बोलना। १२ कान्न । १३ मुकद्दमा । १४ अांख, नेत्र । १५ ज्ञान । अक्षरम्रत-पू० थतज्ञान के चौदह भेदों में में प्रथम। (जैन)
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