Book Title: Prashnottar Vichar
Author(s): Unknown
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 45
________________ ( 47 ) बतलाते हो तो सूर्योदययुक्त पहिली तिथि को नहीं मानना यह तपगच्छवालों का मत महामिथ्या ही सिद्ध होगा और सूर्योदययुक्त उस पहिलो एक्कम तिथि को मानना निषेधोंगे तो आज्ञा-भंग आदि उक्त दोनों की गठरी आप लोगों के शिर पर ही रहेगी। 11 [प्रश्न ] तपगच्छवाले सूर्योदययुक्त पहिली पंचमी पर्वतिथि को धर्मकृत्यों से पालना निषेध कर उस तिथि को पापकृत्यों के लिये दूसरी चौथ तिथि करना बतलाते हैं तो उस चौथ तिथि संबंधी कल्याणक तप और पौषध आदि धर्मकृत्यों से उस पहिली चौथ तिथि को मानना बतलाते हैं कि पहिली पंचमी रूप दूसरी चौथ तिथि को? . 12 [प्रश्न ] तपगच्छवाले सूर्योदययुक्त दो अष्टमी हो तो पापकृत्य करने के वास्ते दो सप्तमी करना बतलाते हैं और पहिली अष्टमी पर्वतिथि को पौषध आदि धर्मकृत्यों से मानना निषेधते हैं तो उस सप्तमी तिथि संबंधी कल्याणक तप तथा पौषध आदि धर्मकृत्य उस पहिली सप्तमी को करना बतलाते हैं कि पहिली अष्टमी रूप दूसरी सप्तमी को? 13 [ प्रश्न ] सूर्योदययुक्त दो एकादशी तिथि हों तो 60 घड़ी की पहिली एकादशी को कल्याणक संबंधी पौषधतप आदि धर्मकृत्य निषेधने के लिये और पापकृय करने के वास्ते तपगच्छवाले दो दशमी तिथि करना बतलाते हैं तो उस दशमी तिथि संबंधी कल्याणक तप तथा पौषध आदि धर्मकृत्य उस पहिली दशमी तिथि में करने बतलाते हैं कि दूसरी कल्पित दशमी तिथि में ? 14 [प्रश्न] सूर्योदययुक्त दो चतुर्दशी हो तो 60 घड़ी की पहिली चतुर्दशी पर्वतिथि को पौषधादि धर्मकृत्य निषेधने के लिये तथा पापकृत्य करने के वास्ते तपगच्छ वाले दो तेरस करना Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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