Book Title: Prashnottar Vichar
Author(s): Unknown
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 68
________________ ( ७० ) ११ [प्रश्न ] श्रीनेमिनाथ तीर्थकर महाराज का जन्म कल्याणक तपस्यादि जैसा ५० दिने दूसरे श्रावण सुदी ५ को करते हो वैसाही ( अभिवदाढियमि वीसा) इस श्रीभद्रबाहुस्वामी के वाक्य से अभिवर्द्धित वर्ष में जैनटिप्पने के अनुसार २० दिने श्रावण सुदी ५ को प्रतिबद्ध सांवत्सरिक प्रतिक्रमणादि कृत्ययुक्त गृहिज्ञात श्रीपर्युषणपर्व के स्थान में जैनटिप्पने का सम्यग् ज्ञान नहीं होने से लौकिक टिपने के अनुसार ५० दिने दूसरे श्रावण सुदी ४ को क्यों नहीं करते हो? १२ [प्रश्न ] अधिकमास में अक्षय तृतीया आदि पर्व करने नहीं मानते हो तो ८० दिने वा दूसरा अभिवद्धित भाद्रपद अधिकमास में कृष्णपक्ष की १२ तिथि से पर्युषण पर्व क्यों करते हो ? १३ [ प्रश्न ] अधिकमास को लोण नपुंसक मलमास मानते हो और उस अधिकमास में नीच (अधम ) कणेर वृक्ष फूलता है, उच्च आम्रवृक्ष नहीं फूलता है । तो आप लोगों के इस कथनानुसार ८० दिने वा दूसरा अभिवद्धित भाद्रपद लोण नपुंसक अधिक मलमास में कृष्णपक्ष की १२ तिथि से पर्युषण पर्व करने स्वीकार के नीच कणेरवृक्ष की तरह आप लोग क्यों • फूलते हो? अथवा प्रागम-संमत ५० दिने पर्युषणपर्व करके प्रफुल्लित क्यों नहीं होते हो? १४ [प्रश्न ] जैनटिप्पने के अनुसार तथा जैनशास्त्रों में १२ मास का उचित काल से अधिक दूसरा मास अधिक माना है और लौकिक टिप्पने के अनुसार प्रथम मास के दूसरे शुक्ल : पक्ष को तथा दूसरे मास के प्रथम कृष्ण पक्ष को अधिकमास मानते है, यदि वह गिनती में नहीं तो दूसरे माद्रपद अधिकमास Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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