Book Title: Prashnottar Vichar
Author(s): Unknown
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 65
________________ कृत्य करते हो । इस तरह पर्युषण के पश्चात् यह उपर्युक्त सब १०० रात्रि दिन शेष आप लोग अपने मुख से गिनती में मान लेते हो तो फिर असत्य प्रलाप द्वारा ७० रात्रि दिन शेष हुए, ऐसा क्यों बोलते हो? ४ [प्रश्न] श्रावण मास के दो पाक्षिक प्रतिक्रमण में १५-१५ रात्रि दिन गिनती में बोलते हो तथा प्रथम भाद्रपद मास के दो पाक्षिक प्रतिक्रमण में १५–१५ रात्रि दिन गिनती में वोलते हो एवं दूसरा अधिक भाद्रपद मास की वदी १४ के पाक्षिक प्रतिक्रमण में १५ रात्रि दिन गिनती में बोलते हो बाद ५ दिने दूसरा अधिक भाद्रपद सुदी ४ को सांवत्सरिक प्रतिक्रमणादि पर्युषणपर्व करते हो, इस तरह आषाढ़ चतुर्मासी से यह उपर्युक्त सब ८० रात्रि दिन आप लोग अपने मुख से गिनती में बतलाते हो, तो फिर ५० रात्रि दिन हुए, ऐसा झूठ क्यों बोलते हो? ५ [प्रश्न] "एत्थ अधिमासगो चेव मासो गणिज्जति सो वीसाए समं वीसतिरात्तो भगणति चेव-यह पूर्वधर श्रीपूर्वाचार्य महाराज जी कृत श्रीबृहत्कल्पसूत्र चूर्णिवाक्य से ( एत्थ) अभिवद्धितवर्ष में जैनटिप्पने के अनुसार पौष और आषाढ़ अधिकमास निश्चय गिनती में लिया जाता है, वह अधिकमास २० रात्रि के साथ होने से २० रात्रि याने प्राषाढसुदी पूर्णिमा से २० दिन वीतने पर श्रावणसुदी ५ को गृहिझात सांवत्सरिक कृत्य युक्त पर्युषणपर्व नियुक्तिकार श्रीभद्रबाहु स्वामी ने करना लिखा है, वास्ते जैनटिप्पने का सम्यग् ज्ञान के प्रभाव से लौकिक टिप्पने के अनुसार दूसरे श्रावण अधिकमास को गिनती में मानकर ५० दिने दूसरे श्रावणसुदी ४ को वा ५० दिने प्रथा Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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